वाइब्रेंट गुजरात की शुरुआत 2003 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इसकी शुरुआत काफी छोटे स्तर से हुई थी और उस वक्त काफी कम लोगों को इस बात का अंदाजा रहा होगा कि यह आयोजन धीरे-धीरे दावोस में आयोजित होने वाले कार्यक्रम 'वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम' की तरह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की शक्ल अख्तियार कर लेगा. मोदी ने 2019 में प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ऐलान किया कि उनके ड्रीम प्रोजेक्ट 'वाइब्रेंट गुजरात' में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की सभी शर्तें मौजूद हैं. कई राष्ट्राध्यक्ष, दुनिया भर से उद्योग जगत की हस्तियां, अंतरराष्ट्रीय निवेशक और प्रमुख सीईओ गुजरात के जरिए भारत के बारे में जानने को कतार में लगे थे और मोदी ने उन्हें निराश नहीं किया. अंग्रेजी में उनका भाषण तीव्र और दमदार था, जो मुख्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए लग रहा था. चीन के सुधारवादी नेता देंग शियाओ पिंग की तरह अपील कर रहे थे मोदी अंतरराष्ट्रीय उद्योगपतियों के लिए उनकी अपील चीन के सुधारवादी नेता देंग शियाओ पिंग की फरियाद की तरह प्रतीत हो रही थी, जिन्होंने ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए चीन में अंतरराष्ट्रीय निवेश का मार्ग प्रशस्त किया. मोदी की नजर उन पर थी, जो भारत में निवेश को इच्छुक हैं. उनकी अपील काफी सामान्य थीः भारत बड़े बदलाव के करीब है और यह डिजिटल, आवास और उपभोक्ता सामान समेत विभिन्न क्षेत्रों में अवसर मुहैया करा रहा है. उनका इस बात पर जोर था कि भारत का बाजार अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा के संयुक्त बाजार से भी बड़ा है. ऐसे में उनकी अपील थी, 'बदलाव का फायदा उठाने के लिए भारत आएं और निवेश करें.' मोदी की यह अपील वहां मौजूद श्रोताओं को प्रभावित करती नजर आई. ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनावों से पहले गोरखपुर में किसानों का राष्ट्रीय अधिवेशन करना बीजेपी के तरकश का कौन सा तीर है? किसी भी तरह की आशंका को खारिज करते हुए उन्होंने प्रमुखता से इस बात को रखा कि भारत के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार, बिजनेस की लागत, टैक्स सिस्टम को बेहतर बनाया जाना निवेशकों को काफी सहूलियत प्रदान करेगा. इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि वह निजी तौर पर वैसे कारोबारियों की सुविधाओं पर नजर रखेंगे, जो भविष्य में भारत में निवेश करने को इच्छुक हैं. निश्चित तौर पर इन बातों का आश्वासन वैसे प्रधानमंत्री की तरफ से मिल रहा था, जिन्हें 5 महीनों के भीतर चुनाव का भी सामना करना पड़ेगा, लेकिन इन बातों की परवाह किए बिना उन्हें जोरदार ढंग से इस तरह का आश्वासन दिया. दिलचस्प बात यह है कि भारत के लिए मोदी की अपील और कुछ नहीं बल्कि इस तरह की अपीलों के दायरे का विस्तार है, जो उन्होंने 'वाइब्रेंट गुजरात' के पिछले सम्मेलनों में गुजरात के मुख्यमंत्री की हैसियत से की थी. मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए गुजरात को अनोखे ठिकाने की तरह पेश करते थे. अब वह राष्ट्रीय स्तर पर इसका दायरा बढ़ा रहे हैं. वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में 15 देश बने पार्टनर वह पिछले दो दिनों से प्रतिनिधियों, शीर्ष उद्योगपतियों और वाणिज्य इकाइयों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं. इन बैठकों का मकसद संबंधित लोगों व इकाइयों को सरकार की नीति की निरंतरता से रूबरू कराना है. अगर राजनीतिक अनिश्चितता तैयार करने की किसी भी तरह की माहौल बनाने का प्रयास किया जाता है तो वाइब्रेंट गुजरात में मोदी का अंदाज इसका उलट संकेत देता है. श्रोताओं के दिमाग में उनकी निरंतरता स्वाभाविक रूप से बनी हुई है. वैश्विक निवेश सम्मेलन का स्थल-गांधी नगर का महात्मा मंदिर शायद देश का सबसे आधुनिक और स्टाइलिश सम्मेलन स्थल है. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो इसका निर्माण हुआ था. अब जब वह वहां प्रधानमंत्री की हैसियत से मौजूद थे तो बिजनेस और उद्योग जगत की हस्तियों और शीर्ष विदेशी प्रतिनिधियों के बीच उनके भाषण और संवाद में एक प्रशासक के तौर पर उनकी छवि नजर आई. ये भी पढ़ें: ममता के दावे में है कितना दम, क्या मेगा रैली बीजेपी के लिए ‘ताबूत की आखिरी कील’ साबित होगी? इस सम्मेलन में पश्चिमी मुल्कों समेत दुनियाभर से 15 देश पार्टनर की तरह हिस्सा ले रहे हैं. इसके अलावा, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावत मिर्जियॉय, डेनमार्क के प्रधानमंत्री लार्स रास्मुसेन, चेक गणराज्य के आंद्रेज बाबिस और मस्कट के माल्टा जोसेफ समेत पांच देशों के राष्ट्राध्यक्ष की उपस्थित के साथ-साथ देश के 8 राज्यों ने भी अपने प्रतिनिधि भेजे हैं, ताकि वे संभावित घरेलू और विदेशी निवेशकों के साथ कारोबारी बातचीत कर सकें. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वीडियो कॉन्फ्रेस के जरिए दिया संदेश वाइब्रेंट गुजरात समिट-2019 की एक अहम बात इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का वीडियो कॉन्फ्रेस के जरिए विशेष संदेश था. इसमें कहा गया, 'गुजरात अपने दो लोगों के बीच मजबूत कनेक्शन का प्रतीक है. हम एक साथ भविष्य के लिए असीमित संभावनाएं तैयार कर रहे हैं.' मोदी ने कहा, 'भारत में हमारी चुनौती क्षैतिज और लंबवत रूप से आगे बढ़ने की है. क्षैतिज रूप से हमें उन क्षेत्रों और समुदायों में विकास का फायदा पहुंचाना है, जो पिछड़े हुए है. लंबवत रूप में हमें जीवन और इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता के लिहाज से जो उम्मीदें बढ़ी हैं, उसे पूरा करना है. पिछले चार साल में हमने गवर्नमेंट को कम किया है और गवर्नेंस को बढ़ाया है. भारत अब बिजनेस के लिए पहले से कहीं ज्यादा बेहतर ढंग से तैयार है. पिछले चार साल में बिजनेस करने के मामले में विश्व बैंक की ग्लोबल रैंकिंग में हमने 65 पायदानों की छलांग लगाई है. हालांकि, हम अभी भी संतुष्ट नहीं हैं. मैंने अपनी टीम से और मेहनत से काम करने को कहा है, ताकि भारत अगले साल टॉप 50 रैंकिंग में शामिल हो सके.' ये भी पढ़ें: बीजेपी ने सोशल मीडिया पर चलाई ये खास मुहिम, नेता दे रहे 5 सालों के विकास की रिपोर्ट इसके बाद उन्होंने इस बात से जुड़े कुछ तथ्य पेश किए कि भारत किस तरह से चार सालों में आगे बढ़ा है- मसलन पहली बार वह बिजली का निर्यातक बना है और दुनिया में पवन ऊर्जा का चौथा और सौर ऊर्जा का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है.
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