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Saturday 21 October 2017

संतोषी की मौत के बाद मिला था राशन कार्ड,अफसर हर दिन बदल रहे हैं बयान



सिमडेगा(रांची)।जलडेगा के कारीमाटी गांव की 10 साल की संतोषी की मौत का विवाद थम नहीं रहा है। परिजन भूख से मौत बता रहे हैं, रिपोर्ट में मौत का कारण मलेरिया बताया जा रहा है। अफसर हर दिन अपना बयान बदलते नजर आ रहे हैं। 28 सितंबर को संतोषी की भूख से मौत के बाद जब शोर मचा और जांच के लिए 12 अक्टूबर को स्टेट फूड कमीशन की टीम कारीमाटी आ रही थी, उनके आने के पहले अानन-फानन में अफसरों ने अंत्योदय कार्ड बनाकर संतोषी की मां कोयली देवी को थमा दिया। अफसरों की इस हड़बड़ी पर भी अब लोग सवाल उठा रहे हैं।
- 17 अक्टूबर को सीएम रघुवर दास जब सिमडेगा गए थे और उनके समक्ष यह मामला उठा, तो उन्होंने 24 घंटे में लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से जांच कर रिपोर्ट तलब किया। महज चार घंटे के बाद डीसी ने आनन-फानन में जांच कर प्रेस काॅन्फ्रेंस में बताया कि कोयली देवी के नाम पर राशन कार्ड था, पर आधार कार्ड नहीं होने के कारण उसका राशन कार्ड अप्रैल में रद्द हो गया।
- डीसी ने यह रिपोर्ट स्टेट हेडक्वार्टर को भी भेज दी। बाद में पता चला कि कोयली देवी व परिजनों का आधार कार्ड तो था, पर उनका राशन कार्ड ही नहीं बना था।

- वह पतिअंबा गांव की फूलमनी के नाम पर बने राशन कार्ड से राशन ले रही थी। मई में ई-पॉश सिस्टम लागू होने के बाद राशन डीलर भोला साहू ने कोयली को राशन देने से मना कर दिया। कहा-तुम्हारे नाम से कार्ड नहीं है। ई-पॉश सिस्टम में अंगूठा लगाना पड़ता है। इस कार्ड पर तुम्हारा अंगूठा नहीं लेगा। इसलिए अब राशन नहीं दे सकते। इसके सात दिन बाद संतोषी की मौत हो गई। कोयली ने कहा कि भात नहीं मिलने पर संतोषी की भूख से तड़पकर मौत हुई है।
विधायक पौलुस सुरीन परिजनों से मिले, बोले- सदन में उठाएंगे मामला
- तोरपा विधायक पौलुस सुरीन शुक्रवार को पीड़ित परिवार से मिले। कहा- मामले को सदन में उठाएंगे और न्याय दिलाएंगे। स्टेट ट्राइवल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य रतन तिर्की, स्टेट फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष नबीबुल हसन, आजसू जिलाध्यक्ष तिलका रमण भी गांव पहुंचे। शनिवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत कारीमाटी आएंगे।



भूख से मौत मामला: ग्रामीणों का पीड़ित के घर हमला, परिवार ने घर छोड़ा


सिमडेगा (झारखंड)। यहां के सिमडेगा स्थित कारीमाती गांव में भूख से 10 साल की बच्ची संतोषी की मौत के बाद उसके परिवार ने ग्रामीणों के खौफ से शनिवार की सुबह घर छोड़ दिया। परिवार के लोगों ने पंचायत भवन में शरण ली। इससे पहले बीती रात लगभग 40 से 60 की संख्या में महिलाओं के साथ पहुंचे ग्रामीणों ने पीड़ित के घर के सामान फेंक दिए। तोड़फोड़ की। ग्रामीणों का अारोप, गांव की छवि हुई खराब...
- ग्रामीणों का कहना है कि उसके कारण गांव की छवि खराब हुई है और लगातार लोगों का आना-जाना बढ़ गया है, जिससे सब लोग परेशान हो गए हैं।
- ग्रामीणों ने बताया कि जब वे लोग पीड़ित के घर पहुंचे तो वहां मुर्गा बन रहा था। मौत के बाद सरकार की ओर से संतोषी की परिवार को 50 हजार रुपए तत्काल सहायता राशि दी गई थी।
- इसी पैसे से मुर्गा खरीदा गया था और परिवार खाना बना रहा था। इसी बीच ग्रामीण पहुंचे और परिवार के लोगों के साथ मारपीट करते हुए उनके सामान बाहर फेंक दिए।
- डिप्टी कमिश्नर मंजूनाथ भजंत्री ने सामान फेंकने की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही बीडीओ संजय कोंगारी को तत्काल पीड़ित के घर पहुंचने के निर्देश दिए।
- बीडीओ के पहुंचने के बाद प्रशासन की सहायता से पीड़ितों को वापस कड़ी सुरक्षा के बीच उनके घर पहुंचाया गया। बीडीओ ने बताया कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।
अधिकारी हर दिन बदल रहे हैं बयान, पहले कहा आधार कार्ड नहीं था, अब बता रहे हैं राशन कार्ड ही नहीं था
- जलडेगा के कारीमाटी गांव की 10 साल की संतोषी की मौत का विवाद थम नहीं रहा है। परिजन भूख से मौत बता रहे हैं, तो सरकारी रिपोर्ट में मौत का कारण मलेरिया बताया जा रहा है।
- अफसर हर दिन अपना बयान बदलते नजर रहे हैं। 28 सितंबर को संतोषी की भूख से मौत के बाद जब शोर मचा और जांच के लिए 12 अक्टूबर को राज्य खाद्य आयोग की टीम कारीमाटी रही थी, उनके आने के पहले अानन-फानन में अफसरों ने अंत्योदय कार्ड बनाकर संतोषी की मां कोयली देवी को थमा दिया। अफसरों की इस हड़बड़ी पर भी अब लोग सवाल उठा रहे हैं।
- 17 अक्टूबर को सीएम रघुवर दास जब सिमडेगा गए थे और उनके समक्ष यह मामला उठा, तो उन्होंने 24 घंटे में जिला प्रशासन से जांच कर रिपोर्ट तलब किया।
- महज चार घंटे के बाद डीसी ने आनन-फानन में जांच कर प्रेस काॅन्फ्रेंस में बताया कि कोयली देवी के नाम पर राशन कार्ड था, पर आधार कार्ड नहीं होने के कारण उसका राशन कार्ड अप्रैल में रद्द हो गया।
- डीसी ने यह रिपोर्ट स्टेट हेडक्वार्टर को भी भेज दी। बाद में पता चला कि कोयली देवी परिजनों का आधार कार्ड तो था, पर उनका राशन कार्ड ही नहीं बना था।
- शुक्रवार को जिला आपूर्ति पदाधिकारी नंदजी राम ने बताया कि कोयली का राशन कार्ड नहीं था। वह पतिअंबा गांव की फूलमनी के नाम पर बने राशन कार्ड से राशन ले रही थी।
- मई में ई-पॉश सिस्टम लागू होने के बाद राशन डीलर भोला साहू ने कोयली को राशन देने से मना कर दिया। कहा-तुम्हारे नाम से कार्ड नहीं है। ई-पॉश सिस्टम में अंगूठा लगाना पड़ता है। इस कार्ड पर तुम्हारा अंगूठा नहीं लेगा। इसलिए अब राशन नहीं दे सकते। इसके सात दिन बाद संतोषी की मौत हो गई।

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