सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव में ‘बोगस वोटिंग’ पर रोक लगाने के लिए मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी कार्ड) को ‘आधार’ से जोड़ने के विषय पर विचार करना चुनाव आयोग के दायरे में आता है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की सदस्यता वाली पीठ ने इस सिलसिले में एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यदि चुनाव आयोग के आदेश से संतुष्ट नहीं हों, तो उनके पास फिर से सुप्रीम कोर्ट का रूख करने के विकल्प खुले हुए हैं. कोर्ट ने कहा, 'इस वक्त हम जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार नहीं कर सकते. इसके बजाय हम याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग का रूख करने को कहेंगे, जिसके बाद चुनाव आयोग इस विषय में एक तर्कसंगत आदेश जारी करेगा.' पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता तब भी संतुष्ट नहीं हों, तो फिर से कोर्ट का रूख करने के लिए उनके पास विकल्प खुले हैं. दरअसल, अधिवक्ता और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने यह पीआईएल दायर कर चुनाव आयोग को इस बारे में एक निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह ‘आधार’ आधारित चुनाव प्रक्रिया लागू करे, ताकि चुनाव में अधिकतम सहभागिता हो और बोगस वोटिंग पर रोक लगे. साथ ही यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 17-18 के अनुरूप होगा.
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