ऑस्ट्रेलिया के शरणार्थी फुटबॉल हकीम अल–अरेबी की थाईलैंड में हुई गिरफ्तारी के बाद मचे बवाल के बाद अब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने थाईलैंड से कहा है कि वह हिरासत में लिए गए इस फुटबाल खिलाड़ी बहरीन प्रत्यर्पण को रोके और उसे रिहा करे. बहरीन की नेशनल टीम में खेल चुके 25 साल के इस खिलाड़ी को ऑस्ट्रेलिया में शरणार्थी का दर्जा मिला है. लेकिन माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया का गृह विभाग की चूक के चलते उनकी गिरफ्तारी हुई है और इस गिरफ्तारी ने दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं साथ-साथ फुटबॉल जगत को भी एक कर दिया है. [caption id="attachment_187663" align="alignnone" width="618"] Photo: Twitter /@danroan[/caption] दरअसल अरेबी पर आरोप था कि साल 2012 में उन्होंने बहरीन में एक जगह हुई तोड़फोड़ में हिस्सा लिया था. उसी वक्त एक फुटेज भी सामने आई थी जिसने वह उसकी वक्त एक क्लब अल-शबाब के लिए खेल रहे थे. उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें राजनीतिक शरण दी और तब से वह मेलबर्न के क्लाब पोस्को वेले की ओर से खेल रहे हैं. कैसे गिरफ्तार हुए अल-अरेबी यहां तक अल-अरेबी की दुनिया ठीक चल रही थी लेकिन इसके बाद पिछले साल नवंबर में जह वह थाईलैंड के शहर बैंकॉक में अपना हनीमून मनाने गए तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया गया. इस गिरफ्तारी के कुछ वक्त बाद बहरीन की ओर से उनके प्रत्यर्पण की मंग की गई ताकि उन्हें दी गई 10 साल की सजा पर अमल किया जा सके. माना जा रहा है कि अरेबी की गिरफ्तारी की वजह ऑस्ट्रेलिया के होम डिपार्टमेंट की ओर से थाईलैंड को दी गई वह सूचना जिसमें उसने थाई सरकार को अरेबी के ट्रैवल प्लान से अवगत कराया था. बहरीन के प्रत्यर्पण की मांग के साथ ही यह साफ हो गया गया कि अगर अरेबी को प्रत्यर्पित किया जाता है तो उसे अपन जवानी के 10 अहम साल जेल मे बिताने होगें. “If I go to Bahrain, I will be tortured again” Hakeem al-Araibi Take action and help #SaveHakeem! https://t.co/AU4bO433yU pic.twitter.com/Zj2quanpCs — Human Rights Watch (@hrw) January 29, 2019 अरेबी को बचाने के लिए ही तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ता और फुटबॉल प्रेमी मुहिम छेड़े हुए हैं जिसके दबाव में आकर ही ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने थाईलैंड की सरकार को खत लिखा है. Pressure on both Bahrain and Thailand escalates as @fatma_samoura reiterates strong support for #SaveHakeem and escalation to emergency status of Hakeem al-Araibi’s case. All stakeholders increasing pressure exponentially, we remain cautiously hopeful of a positive outcome. pic.twitter.com/4sVpln6Gsy — Craig Foster (@Craig_Foster) January 29, 2019 ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान क्रेग फोस्टर ने अल-अरेबी के समर्थन में फीफा के अधिकारियों के मुलाकात करके उनके प्रत्यर्पण को रुकवाने का मांग की है. इंटरनेशनल स्तर पर यह मसला इतना अधिक इसलिए भी संगीन हो चला है क्योंकि बहरीन के शाही परिवार के सदस्य शेख सलमान एशियन फुटबॉल कनफेडरेशन यानी एएफसी के अध्यक्ष और फीफा के उपाध्यक्ष हैं. अल-अरेबी बहरीन के शाही परिवार के आलोचक भी रहे हैं. मांग यह भी की जा रही है कि जब तक इस मसले का कई हल नहीं निकलता है तबतक उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. इसी दबाव के चलते है एएफसी की ओर से थाईलैंड सरकार से अपील की गई है कि उन्हें रिहा करके ऑस्ट्रेलिया वापस भेज दिया दिया जाए. भारत के पूर्व मंत्री और एफएसी के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने थाईलैंड की सरकार के सामने एएफसी का रुख साफ किया है. बहरहाल अब देखना होगा कि हकाम अल-अरेबी के समर्थन में चला यह अभियान उन्हें बहरीन को जेल में जाने से बचा पाता है या नहीं.
Wednesday 30 January 2019
कौन हैं हकीम अल-अरेबी जिन्हें बचाने के लिए फुटबॉल की दुनिया गोल हो रही है!
ऑस्ट्रेलिया के शरणार्थी फुटबॉल हकीम अल–अरेबी की थाईलैंड में हुई गिरफ्तारी के बाद मचे बवाल के बाद अब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने थाईलैंड से कहा है कि वह हिरासत में लिए गए इस फुटबाल खिलाड़ी बहरीन प्रत्यर्पण को रोके और उसे रिहा करे. बहरीन की नेशनल टीम में खेल चुके 25 साल के इस खिलाड़ी को ऑस्ट्रेलिया में शरणार्थी का दर्जा मिला है. लेकिन माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया का गृह विभाग की चूक के चलते उनकी गिरफ्तारी हुई है और इस गिरफ्तारी ने दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं साथ-साथ फुटबॉल जगत को भी एक कर दिया है. [caption id="attachment_187663" align="alignnone" width="618"] Photo: Twitter /@danroan[/caption] दरअसल अरेबी पर आरोप था कि साल 2012 में उन्होंने बहरीन में एक जगह हुई तोड़फोड़ में हिस्सा लिया था. उसी वक्त एक फुटेज भी सामने आई थी जिसने वह उसकी वक्त एक क्लब अल-शबाब के लिए खेल रहे थे. उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें राजनीतिक शरण दी और तब से वह मेलबर्न के क्लाब पोस्को वेले की ओर से खेल रहे हैं. कैसे गिरफ्तार हुए अल-अरेबी यहां तक अल-अरेबी की दुनिया ठीक चल रही थी लेकिन इसके बाद पिछले साल नवंबर में जह वह थाईलैंड के शहर बैंकॉक में अपना हनीमून मनाने गए तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया गया. इस गिरफ्तारी के कुछ वक्त बाद बहरीन की ओर से उनके प्रत्यर्पण की मंग की गई ताकि उन्हें दी गई 10 साल की सजा पर अमल किया जा सके. माना जा रहा है कि अरेबी की गिरफ्तारी की वजह ऑस्ट्रेलिया के होम डिपार्टमेंट की ओर से थाईलैंड को दी गई वह सूचना जिसमें उसने थाई सरकार को अरेबी के ट्रैवल प्लान से अवगत कराया था. बहरीन के प्रत्यर्पण की मांग के साथ ही यह साफ हो गया गया कि अगर अरेबी को प्रत्यर्पित किया जाता है तो उसे अपन जवानी के 10 अहम साल जेल मे बिताने होगें. “If I go to Bahrain, I will be tortured again” Hakeem al-Araibi Take action and help #SaveHakeem! https://t.co/AU4bO433yU pic.twitter.com/Zj2quanpCs — Human Rights Watch (@hrw) January 29, 2019 अरेबी को बचाने के लिए ही तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ता और फुटबॉल प्रेमी मुहिम छेड़े हुए हैं जिसके दबाव में आकर ही ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने थाईलैंड की सरकार को खत लिखा है. Pressure on both Bahrain and Thailand escalates as @fatma_samoura reiterates strong support for #SaveHakeem and escalation to emergency status of Hakeem al-Araibi’s case. All stakeholders increasing pressure exponentially, we remain cautiously hopeful of a positive outcome. pic.twitter.com/4sVpln6Gsy — Craig Foster (@Craig_Foster) January 29, 2019 ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान क्रेग फोस्टर ने अल-अरेबी के समर्थन में फीफा के अधिकारियों के मुलाकात करके उनके प्रत्यर्पण को रुकवाने का मांग की है. इंटरनेशनल स्तर पर यह मसला इतना अधिक इसलिए भी संगीन हो चला है क्योंकि बहरीन के शाही परिवार के सदस्य शेख सलमान एशियन फुटबॉल कनफेडरेशन यानी एएफसी के अध्यक्ष और फीफा के उपाध्यक्ष हैं. अल-अरेबी बहरीन के शाही परिवार के आलोचक भी रहे हैं. मांग यह भी की जा रही है कि जब तक इस मसले का कई हल नहीं निकलता है तबतक उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. इसी दबाव के चलते है एएफसी की ओर से थाईलैंड सरकार से अपील की गई है कि उन्हें रिहा करके ऑस्ट्रेलिया वापस भेज दिया दिया जाए. भारत के पूर्व मंत्री और एफएसी के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने थाईलैंड की सरकार के सामने एएफसी का रुख साफ किया है. बहरहाल अब देखना होगा कि हकाम अल-अरेबी के समर्थन में चला यह अभियान उन्हें बहरीन को जेल में जाने से बचा पाता है या नहीं.
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