उत्तर प्रदेश में बीते एक सप्ताह के दौरान बीजेपी के खिलाफ विपक्षी राजनीतिक पाले के गठबंधन से उपजे सियासी हलचल से जुड़ी तस्वीरों में एक नौजवान की फोटो ने सबका ध्यान आकर्षित किया. तस्वीरों में बीएसपी मुखिया मायावती के बगल में खड़ा यह नौजवान एसपी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ उनकी साझा प्रेस कांफ्रेंस और जन्मदिन के मौके पर बधाई के दौरान भी मौजूद था और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की लखनऊ में मायावती से भेंट के वक्त भी. लोकसभा चुनाव से ऐन पहले उत्तर प्रदेश के दो धुर विरोधी दलों के आपस में हाथ मिलाने और उसका विस्तार पड़ोसी बिहार तक होने की संभावनाओं से जुड़ी गतिविधियों में मायावती के साथ खड़ा यह नौजवान उनका भतीजा आकाश आनंद है. वह मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार का बेटा है. मायावती ने पहली बार साल 2017 में आकाश का परिचय बीएसपी के नेताओं से कराया था. लखनऊ में अंबेडकर जयंती के तुरंत बाद मायावती ने पार्टी की बैठक में प्रदेश के नेताओं के सामने जब अपने भाई आनंद को मंच पर बुलाया तो उनके साथ एक और युवक भी था. उसका परिचय देते हुए मायावती ने तब बताया था कि यह उनका भतीजा आकाश है जो लंदन से एमबीए करके लौटा है और वह पार्टी का काम देखेगा. क्या अपना उत्तराधिकारी तैयार कर रही हैं मायावती? उससे पहले मायावती ने उसी साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर भाई आनंद को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने की घोषणा की थी. तब उन पर परिवारवाद के आरोप भी लगे थे क्योंकि बीएसपी मुखिया हमेशा परिवारवाद के खिलाफ बोलती रही हैं. हालांकि आनंद ज्यादा वक्त इस पद पर नहीं रहे और न ही बीएसपी के मंच पर सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए लेकिन अब आकाश को मिल रही अहमियत से राजनीतिक हलकों में कयास लग रहे हैं कि क्या मायावती इस नौजवान को अपने उत्तराधिकारी के रूप में तैयार कर रही हैं? ये भी पढ़ें: खुद को पीएम कैंडिडेट की तरह प्रोजेक्ट कर मायावती ने मोदी के साथ राहुल को भी दी चुनौती एसपी के साथ गठबंधन हो या फिर तेजस्वी यादव के साथ भेंट या फिर अपने जन्मदिन से जुड़े कार्यक्रम, हर मौके पर आकाश को अपने बगल में जगह देकर मायावती शायद यही संकेत दे गईं कि इस युवक की बीएसपी में अहम जगह होगी. दरअसल गए तीन चुनावों में यूपी में बीएसपी को कामयाबी नहीं मिली. 2012 में उसने एसपी के हाथों हारकर सत्ता गंवाई तो 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में उसका लगभग सूपड़ा ही साफ हो गया. कई पुराने नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी, एसपी और कांग्रेस में चले गए. यह चर्चा चल पड़ी कि बीएसपी जिस तरह की राजनीति करती है वह अब प्रासंगिक नहीं. बीएसपी की राजनीति का तौर-तरीका बदलने का वक्त खासकर दलित युवाओं की नई पौध बीएसपी के तौर-तरीकों वाली राजनीति से खुद को जोड़ नहीं पा रही थी. यही वजह रही कि भीम आर्मी बनाकर चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने पश्चिमी यूपी में दलित युवकों के बीच मजबूत पैठ बनाने में कामयाबी पाई. ऐसे में मायावती के लिए भी जरूरी था कि वह बीएसपी के ‘बंद दरवाजे’ और ‘लचीलेपन से दूरी’ रखने वाली सियासत को विराम दें. बीते साल यूपी के उपचुनावों में एसपी को समर्थन, फिर छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ गठजोड़, अब लोकसभा के लिए एसपी से गठबंधन, बिहार के नेता तेजस्वी यादव से बेहिचक मुलाकात आदि ऐसी बानगियां हैं जो बताती हैं कि मायावती ने अपनी अब तक की हार्डलाइन राजनीतिक परंपरा को लचीला बनाया है. बीएसपी के मंच पर भतीजे आकाश की एंट्री भी नए दौर की बीएसपी का ही विस्तार है. एसपी के साथ गठबंधन में अखिलेश यादव के साथ मायावती की प्रस्तावित साझा रैलियों में भी मंच पर आकाश को अहमियत मिलना तय माना जा रहा है. ये भी पढ़ें: जन्मदिन विशेष मायावती: संघर्षों से भरा रहा है स्कूल टीचर से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर माना जा रहा है कि आकाश के जरिए बीएसपी मुखिया नई पीढ़ी खासकर दलित युवाओं को यह संदेश देना चाहती हैं कि उनकी पार्टी में भी नयापन है ताकि दलित तबके के युवा भीम आर्मी को ही विकल्प न मानें. उल्लेखनीय है कि जब सहारनपुर में अगड़ों और दलितों के बीच टकराव हुआ था तो मायावती ने वहां का दौरा किया था जिसमें आकाश भी उनके साथ थे. फिर मेरठ की सभा में भी वे मायावती के साथ मौजूद थे. सहारनपुर हिंसा के बाद जब चंद्रशेखर जेल से रिहा हुए तो उन्होंने कहा था कि मायावती उनके लिए बुआ जैसी हैं और वे उन्हें राजनीतिक रूप से मजबूत करेंगे. जवाब में मायावती ने कहा था कि चंद्रशेखर आजाद रावण से उनका कोई रिश्ता नहीं है और कुछ लोग अपने फायदे के लिए उनसे रिश्ता जोड़ते रहते हैं. चूंकि बीएसपी और भीम आर्मी दोनों का ही आधार दलितों के बीच है, लिहाजा मायावती चंद्रशेखर को अपना राजनीतिक प्रतिद्वंदी मानती हैं. भतीजे आकाश के जरिए वह भीम आर्मी को भी जवाब देना चाहती हैं कि उनकी पार्टी में भी एक युवा चेहरा है. इतना ही नहीं, शायद यह जवाब उन सभी राजनीतिक विरोधियों को भी है जिनके पास युवा नेतृत्व और युवा नेताओं की अच्छी संख्या है. ये भी पढ़ें: यूपी में SP-BSP गठबंधन में जगह नहीं दिए जाने के बावजूद अपनी ताकत दिखा पाएगी कांग्रेस? बीएसपी में कोई युवा संगठन नहीं है जबकि देश की आधी आबादी युवा होने के कारण चुनावों में इनकी अहम भूमिका देखी जा रही है. बीते चुनावों में बीएसपी की हार के पीछे युवाओं का समर्थन न मिलना भी बड़ी वजह रही है. आकाश को सामने लाकर मायावती संभवत: अपनी पार्टी की इस कमजोरी को दूर करना चाहती हैं.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Sports
Popular Posts
-
Karimganj North Assembly Election: Located in Assam's Karimganj district, a tight contest is likely to emerge in the Karmiganj North As...
-
Days after the high-stakes all-party meeting between the Central Government and leaders from Jammu and Kashmir, former chief minister and N...
-
Jaipur: Congress leader Rahul Gandhi on Tuesday accused Prime Minister Narendra Modi of destroying India's image as a country of peace ...
No comments:
Post a Comment