आर्चरी में गोल्ड एवं सिल्वर मेडल जीतने वाला खिलाड़ी इन दिनों दर-दर की ठोकर खाने को बेबस है. हालत ये है कि इन दिनों अशोक सोरेन मनरेगा और अपने खेतों में काम कर अपने और अपने परिवार का पेट पाल रहा है.
जमशेदपुर से सटे एनएच-33 के देवघर गांव का यह मामला है. जहां आर्चरी खिलाड़ी अशोक सोरेन इन दिनों मनरेगा और खेतों में काम करने के लिए मजबूर हैं. इनके कच्चे घर के दीवारों पर कई मेडल टंगे हैं.
ये वही अशोक सोरेन हैं, जिन्होंने साल 2008 में दक्षिण एशियाई देशों के सैफ आर्चरी गेम्स में भारत के लिए दो स्वर्ण पदक जीते थे. मगर आज सरकारी उदासीनता के कारण परिवार के भरण-पोषण के लिए वह खेतों में मजदूरी कर रहा है.
अशोक सोरेन नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर गोल्ड एवं ब्रॉन्ज पदक तक जीत चुके हैं. परिवार के लोगों को भी आस है कि आज नहीं तो कल सरकार की नींद खुलेगी और अशोक सोरेन की जीवन की गाड़ी अपनी सही रफ्तार में चल सकेगी.
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