उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के विधायकों ने जमकर हंगामा काटा और राज्य के गर्वनर के सामने पेपर फेंकने शुरू कर दिए. दरअसल राज्य के गवर्नर राम नाइक सदन में बजट सत्र के पहले दिन योगी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे, उसी वक्त समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के विधायकों ने जमकर हंगामा काटना शुरू कर दिया उनके ऊपर पेपर फेंके गए. इस दौरान कुछ विधायक टेबल पर भी खड़े हो गए थे. इस हंगामें में BSP विधायक भी शामिल थे. हंगामे के दौरान विधायकों ने 'राज्यपाल वापस जाओ' के नारे लगाए और नाईक की तरफ कागज के गोले फेंके. हालांकि इसके बावजूद राज्यपाल ने पूरा भाषण पढ़ा. Lucknow: SP and BSP MLAs protested against the state govt, in UP state legislative assembly today. pic.twitter.com/A56NKVkCHL — ANI UP (@ANINewsUP) February 5, 2019 सीएम योगी ने क्या कहा? सदन में हुए इस हंगामें के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने जमकर विपक्ष पर निशाना साधा. योगी ने कहा कि जिस तरह से सदन में गर्वनर के खिलाफ नारे लगाए गए और उन पर पेपर बॉल फेंके गए, ये बेहद निंदनीय है. सीएम योगी ने कहा, एसपी, बीएसपी के सदस्यों के गर्वनर के सामने ऐसे रवैये की हम कड़ी आलोचन करते हैं. उन्होंने कहा, अब आप समझ सकते हैं कि ये लोग (विपक्ष) कैसा सिस्टम चाहते हैं. UP CM Yogi Adityanath on ruckus in UP Assembly: The way slogans were raised against the Governor & SP members threw paper balls at him is condemnable. We criticise how SP&BSP members behaved in front of the Governor. Now you can imagine what kind of system these people want. pic.twitter.com/yPNGyq9sQa — ANI UP (@ANINewsUP) February 5, 2019 उन्होंने विपक्षी सदस्यों के आचरण को संसदीय लोकतंत्र को कमजोर करने वाला बताते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि इन सदस्यों की लोकतंत्र में निष्ठा नहीं है और वे संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि एसपी सदस्यों ने गुंडागर्दी कर राज्यपाल पर कागज के गोले उछाले. इससे स्पष्ट है कि एसपी गुंडागर्द से अब भी बाज नहीं आ पा रही है. इनकी काम करने का सिस्टम जब सदन में इतनी अराजक, अनुशासनहीन और बर्बर हो सकती है तो सार्वजनिक जीवन में इनका आचरण कैसा होता होगा? उन्होंने कहा कि राज्यपाल प्रदेश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है. सभी सदस्यों द्वारा दलीय निष्ठा से हटकर उनके प्रति सम्मान का भाव संसदीय लोकतंत्र को मजबूती देता है. लेकिन सदस्यों ने सदन में जो आचरण किया है, वह निंदनीय है. (भाषा से इनपुट)
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