सुप्रीम कोर्ट ने एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के कोर्ट के फैसले की कथित तौर पर आलोचना करने वाले ट्वीट के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और केंद्र की अवमानना याचिकाओं पर बुधवार को जवाब मांगा. भूषण को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है. जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि वह इस सवाल पर विचार करेगी कि क्या कोई वकील या या अन्य व्यक्ति विचाराधीन मामलों को लेकर अदालत की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र है जिससे कि जनमत प्रभावित हो सकता है. पीठ ने कहा कि अदालत की आलोचना न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप भी हो सकता है. पीठ ने कहा, ‘इस मामले पर विस्तृत सुनवाई करने की जरूरत है, इसलिए नोटिस जारी किया जाता है.’ कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात मार्च की तारीख तय की है. Supreme Court issues notice to advocate Prashant Bhushan on contempt plea filed by Attorney General KK Venugopal and Centre that Bhushan in his tweets said that AG Venugopal 'wilfully&deliberately' made false statement in a case pending in court. Next date of hearing is March 7. — ANI (@ANI) February 6, 2019 कुछ दिनों पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी कथित ट्वीटों के लिए भूषण के खिलाफ ऐसी ही अवमानना की याचिका दाखिल की थी. अवमानना की याचिका में भूषण के एक फरवरी के बयानों का हवाला दिया गया था. भूषण ने एक फरवरी को ट्वीट कर कथित रूप से कहा था कि ऐसा जान पड़ता है कि सरकार ने शीर्ष अदालत को गुमराह किया और शायद, प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति (हाई पॉवर सेलेक्शन कमिटी) की बैठक का मनगढंत विवरण पेश किया. वेणुगोपाल ने अपनी याचिका में कहा कि भूषण ने जानबूझकर अटॉर्नी जनरल की सत्यनिष्ठा और ईमानदारी पर संदेह प्रकट किया. अटॉर्नी जनरल ने ही एक फरवरी को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के समक्ष उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक का ब्योरा दिया था. एक फरवरी को सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ के सामने सीलबंद लिफाफे में चयन समिति की बैठक का ब्योरा रखा था. यह बैठक नए सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति के लिए पिछले महीने हुई थी. वेणुगोपाल ने पीठ को बताया था कि केंद्र ने राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक नियुक्त करने के लिए समिति की अनुमति ली थी. चयन समिति में प्रधानमंत्री, सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और चीफ जस्टिस या उनके द्वारा नामित शीर्ष अदालत के जज होते हैं. (इनपुट भाषा से)
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