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Friday 1 February 2019

Basant Panchami 2019: आखिर क्यों इस दिन की जाती है मां सरस्वती की पूजा? जानें इसकी कहानी

बसंत पंचमी का पर्व लोगों को वसंत ऋतु के आगमन की सूचना देता है. चारों तरफ की हरियाली और महकते फूल खुशियों की छटा बिखेरते हैं. इस मौसम की हल्की हवा से वातावरण सुहाना हो जाता है. खेत खलिहानों में पीली सरसों लहलहाने लगती है. शरद ऋतु की विदाई के साथ पेड़ पौधों और प्राणियों में नए जीवन का संचार होता है. ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के अवतार का जन्म हुआ था. मां सरस्वती के आगमन से प्रकृति का श्रृंगार हुआ  कहते हैं कि मां सरस्वती के आगमन से प्रकृति का श्रृंगार हुआ तभी से बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की परंपरा शुरू हुई. बसंत पंचमी मनाने के संबंध में कई लोग कई तरह की बातें करते हैं. एक मत के अनुसार इस दिन विद्या की देवी सरस्वती का पूजन करना चाहिए. दूसरे मत में इसे लक्ष्मी सहित विष्णु के पूजन का दिन बताया गया है. एक अन्य मत के अनुसार इस तिथि को रति और कामदेव की पूजा भी करनी चाहिए क्योंकि कामदेव और बसंत मित्र हैं. बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा क्यों करनी चाहिए? इस साल बसंत पंचमी 10 फरवरी को है. भारत में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा के दिन रूप में भी मनाया जाता है. धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य के जीवन में आई थी. पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का. इस जल से हाथ में वीणा धारण किए जो शक्ति प्रकट हुई वह मां सरस्वती कहलाई. उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनो लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों की वाणी मिल गई. वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का दिन भी माना जाता है. वीणा और ज्ञान की देवी है मां सरस्वती वाग्देवी, वीणावादिनी जैसे नामों से जाने वाली देवी ज्ञान और विद्या का प्रतीक हैं. इन्हें साहित्य, कला, संगीत और शिक्षा की देवी माना जाता है. मां शारदे की चारों भुजाएं चारों दिशाओं का प्रतीक हैं. एक हाथ में वीणा, दूसरे में वेद की पुस्तक, तीसरे में कमंडल तथा चौथे में रूद्राक्ष की माला धारण किए हुए हैं. यह प्रतीक हमारे जीवन में प्रेम, समन्वय विद्या, जप, ध्यान तथा मानसिक शांति को प्रकट करते हैं. इस दिन कैसे करे मां सरस्वती को प्रसन्न? -बसंत पंचमी के दिन कोई उपवास नहीं होता केवल पूजा होती है. इस दिन पीले वस्त्र पहन कर, हल्दी का तिलक लगाकर, मीठे चावल बना कर पूजा करने का विधान है. -विद्यार्थियों, संगीतकार, कलाकारों के लिए यह विशेष महत्व का दिन है. उन्हें अपनी पुस्तकों, वाद्यों आदि की अवश्य पूजा करनी चाहिए. पीले रंग को समृद्धि का सूचक भी कहा जाता है. मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करेंः- ऊँ ऐं सरस्वत्चैं ऐं नमः इसका 108 बार जाप करें. सरस्वती सोत्रम इस प्रार्थना से मां को प्रसन्न करें. या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

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