दिल्ली की तीन बार की मुख्यमंत्री और हाल ही में दिल्ली कांग्रेस की नवनियुक्त अध्यक्ष शीला दीक्षित इन दिनों मीडिया में खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. शीला दीक्षित फिलहाल अपने बयानों के कारण मीडिया में चर्चा में रह रही हैं. इस बीच शीला दीक्षित से फ़र्स्टपोस्ट हिंदी ने कई मुद्दों पर बातचीत की. दीक्षित ने कुछ सवालों का तो बड़ी बेबाकी से जवाब दिया तो वहीं कुछ सवालों को टाल गईं. दिल्ली कांग्रेस का चार्ज संभालने के बाद से ही शीला दीक्षित काफी एक्टिव नजर आ रही हैं. 31 मार्च को 81 साल की होने वाली शीला दीक्षित को देखकर लगता ही नहीं है कि वह पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में किसी तरह से कमजोर हैं. शीला दीक्षित के अध्यक्ष बनते ही उनके निजामुद्दीन स्थित आवास से लेकर दिल्ली कांग्रेस दफ्तर तक कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने लगी हैं. पार्टी ऑफिस में आए हैं कई तरह के बदलाव शीला दीक्षित ने अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी ऑफिस में कई बदलाव किए हैं. कार्यकर्ताओं को बैठने से लेकर पानी के पीने का भी बंदोबस्त खुद अपनी देख-रेख में ही कर रही हैं. कार्यकर्ता कहां बैठेंगे और उनकी शिकायतों को कैसे दूर किया जाएगा, इन बातों का भी ख्याल शीला दीक्षित खुद ही रख रही हैं. पार्टी में अपनी सक्रियता और रोज कांग्रेस दफ्तर जाने जैसे सवालों पर शीला दीक्षित कहती हैं, ‘देखिए यह मेरी पार्टी है. मैं पार्टी दफ्तर नहीं जाउंगी तो कहां जाऊंगी? हमलोग लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ जल्द ही व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू करने जा रहे हैं. कांग्रेस के 15 साल के शासनकाल के 'विकास मॉडल' की तुलना केजरीवाल सरकार के प्रदर्शन से की जाएगी. पार्टी जनसंपर्क अभियान ब्लॉक स्तर पर चलाएगी. हमलोग अरविंद केजरीवाल सरकार को पूरी ताकत के साथ घेरेंगे.’ कांग्रेस पार्टी का कैडर तो दूसरी पार्टियों में चला गया है, ऐसे में आप कैसे पार्टी को मजबूत करेंगे? इन सवालों पर शीला दीक्षित कहती हैं, ‘देखिए कौन कहता है कि कैडर पार्टी के पास नहीं है. संगठन और पार्टी के आधार को मजबूत करने के लिए ही तीन कार्यकारी अध्यक्षों को दिल्ली के अलग-अलग नगर निगम क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. राजेश लिलोठिया को उत्तरी दिल्ली, देवेंद्र यादव को दक्षिणी दिल्ली और हारून यूसुफ को पूर्वी दिल्ली की जिम्मेदारी सौंपी गई है.’ ये भी पढ़ें: दिल्ली: शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल की ये मुलाकात क्या नया मोड़ लेगी? कांग्रेस में गुटबाजी के बारे में पूछे जाने पर शीला दीक्षित बताती है कि उनकी प्राथमिकता सभी को साथ लाने की है. अजय माकन की नाराजगी पर भी शीला दीक्षित बोलती हैं. उनका कहना है, ‘देखिए अजय माकन एक अच्छे नेता हैं. कांग्रेस आलाकमान प्रदेश नेतृत्व बदलना चाहती थी वह बदल दिया. मैं अजय माकन पर कोई कमेंट नहीं करूंगी. उन्होंने मेरे साथ भी काम किया और अच्छा काम किया. भविष्य में माकन हमारे साथ काम करेंगे.’ 'पॉलिटिक्स में कुछ भी हो सकता है' दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में कांग्रेस के साथ कोई गठजोड़ नहीं करने की आप की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर शीला ने कहा कि यह उनकी पार्टी है, जिसने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, 'मैं आपको पहले भी कई बार कह चुकी हूं कि ‘आप’ के साथ गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं है. हम सभी सातों सीटों पर अकले चुनाव लड़ेंगे.' दोबारा सवाल करने पर कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में कांग्रेस और 'आप' के बीच लोकसभा चुनाव में गठबंधन की संभावना जताई जा रही है, शीला दीक्षित कहती हैं, ‘हमने भी पार्टी का स्टैंड साफ कर दिया है और आम आदमी पार्टी ने भी कह दिया है कि अब इसमें कोई किंतु और परंतु नहीं बचा है. हालांकि, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. पॉलिटिक्स में मैं नहीं कह सकती है कि दो सप्ताह या दो महीने बाद क्या चीजें होगीं? अभी लोकसभा चुनाव को लेकर काफी रणनीति बनेगी और बिगड़ेगी. आपलोग वक्त का इंतजार कीजिए.’ शीला दीक्षित ने आम आदमी पार्टी के साथ 4-3 फॉर्मूले को भी खारिज कर दिया. बता दें कि कुछ दिनों पहले आप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने भी कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से इंकार कर दिया था. गोपाल राय ने साफ कहा था कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आम आदमी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी. 'राहुल में हमें उत्तरादायी नेता मिला' विपक्षी दलों की महागठबंधन का मुद्दा हो या पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें सीएम कैंडिडेट घोषित कर पार्टी के कदम पीछे खींच लेने जैसे प्रश्नों को शीला टाल गई. मौजूदा दौर की राजनीति और आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर शीला दीक्षित कुछ भी कहने से बचती दिखीं. यूपी-बिहार में महागबंधन से कांग्रेस पार्टी को किनारे करने के मुद्दे पर शीला दीक्षित कुछ बोलने से बचीं. इन सारे मुद्दों पर शीला दीक्षित ने कहा, ‘केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा कि यूपी-बिहार में किस पार्टी के साथ गठबंधन करें या फिर अकेले चुनाव लड़ें. इन सवालों का मैं जवाब नहीं दूंगी.’ ये भी पढ़ें: दिल्ली में शीला दीक्षित को आगे कर देश में माहौल बनाने की तैयारी कर रही है कांग्रेस कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेताओं का अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा करने के मुद्दे पर शीला ने कहा, ‘देखिए हमारी पार्टी की सभ्यता ऐसी नहीं है कि किसी को मंच से जाने के लिए कह दें. क्या राहुल जी कहते कि मंच से चले जाइए? कुछ मौकों पर नेताओं का मिलने-जुलने का कार्यक्रम होता है और इस तरह के सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं है.’ शीला दीक्षित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जमकर तारीफ करते हुए कहती हैं, ‘कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में कांग्रेस को मिली जीत के बाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच राहुल गांधी के प्रति आदर काफी बढ़ा है. हमने उनमें एक ऐसा नेता पाया है जो उत्तरदायी है और आमतौर पर सही फैसले लेता है. इसलिए हम आने वाले लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर बहुत आश्वस्त हैं. कांग्रेस काफी अच्छा प्रदर्शन करेगी.' उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस दिल्ली में अपना खोया हुआ आधार तेजी से वापस पा रही है. शीला दीक्षित ने साफ कहा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति पीएम मोदी के इर्द-गिर्द ही रहेगी. शीला लगातार कहती रहीं कि भारत की जनता बीजेपी की करतूतों को लेकर उसे सबक सिखाएगी. उन्होंने कहा, 'इस वक्त मैं यह नहीं कह पाउंगी कि कांग्रेस सत्ता में लौटेगी या नहीं लेकिन तीन राज्यों में हाल में हुए विधानसभा चुनावों में किसी ने भी नहीं सोचा था कि हम वहां जीत जाएंगे. कांग्रेस एक विनम्र पार्टी है. हम दिखावे में यकीन नहीं रखते. अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर हम आश्वस्त हैं.' दरअसल, 2014 के आम चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था जबकि बीजेपी ने सभी सातों सीटें अपने नाम कर ली थी. बीजेपी ने मोदी को 2014 में अपने चुनाव प्रचार का चेहरा बना कर पेश किया था. शीला ने कहा, 'इस बार मोदी फैक्टर नहीं चलेगा. उन्होंने दिल्ली के लिए एक भी काम नहीं किया है. दिल्ली की जनता मोदी के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर करने के लिए लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रही है. इस समय बीजेपी बड़ी मुश्किल में है.' मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के क्या आसार हैं? यह पूछे जाने पर कि चुनाव के बाद यदि विपक्षी दलों के प्रस्तावित गठबंधन के पास संख्या बल होगा तो क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद की स्वाभाविक पसंद होंगे, शीला ने इसका सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, 'मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहती.' कांग्रेस क्राइसिस की स्थिति में ही आपको याद करती है, जैसे सवालों पर शीला दीक्षित ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है. ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2019: किसके सिर पर सजेगा सत्ता का ताज, सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोशल साइट्स पर हाल ही में एक ब्लॉग लिखकर महागठबंधन पर चुटकी ली थी. ब्लॉग में अरुण जेटली ने मौजूदा दौर के विपक्षी दलों की ओर से बनाए जा रहे महागठबंधन की तुलना 1971 में इंदिरा गांधी के खिलाफ बनी गठबंधन से की और कहा था कि जिस तरह से वह गठबंधन सफल नहीं हुआ था इसी तरह यह महागठबंधन भी सफल नहीं होगा. इस प्रश्न पर शीला दीक्षित ने पहले कहा, ‘क्या वह सफल हुआ था? उसकी चर्चा अब क्यों कर रहे हैं?’ लेकिन बाद में वो संभल गईं, शायद उनको प्रश्न पूछने का अंदाजा हो गया इसलिए फिर उन्होंने कहा, ‘देखिए उस गठबंधन के कई साल हो गए. उस समय की परिस्थिति कुछ और थी. आज की परिस्थिति कुछ और है. नेता और पार्टियां भी नई हैं. इसलिए अभी नहीं कह सकते हैं कि गठबंधन सफल होगा या नहीं होगा?’ शीला दीक्षित के नेतृत्व में ही दिल्ली का अगला विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा जैसे सवाल का जवाब देने से शीला दीक्षित टाल गईं. उन्होंने कहा कि पार्टी का जो फैसला होगा वह स्वीकार होगा. वो इस वक्त क्या कर रही हैं, इस बारे में सोचती हैं. भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोचतीं.
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