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Wednesday 16 January 2019

खेलो इंडिया में आए हमशक्ल, एक शूटर को कहना पड़ा- 'तेजा मैं हूं मार्क इधर है'...

साल 1994 में रिलीज हुई फिल्म अंदाज अपना-अपना  को भारतीय सिनेमा के इतिहास मे एक शानदार कॉमेडी फिल्म माना जाता है. राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में परेश रावल पर फिल्माया गया एक दृश्य आज भी लोगों के जेहन में ताजा है. उस दृश्य में डबल रोल निभा रहे परेश रावल के एक किरदार का नाम तेजा था. इन दोनों किरदारों के कन्फयूजन को दूर करने के लिए फिल्म के हीरो आमिर खान और सलमान खान तेजा के गाल पर एक निशान बना देते हैं जससे उसकी पहचान हो सके. और इसके बाद गलतफहमी का एक ऐसा गुदगुदाने वाला सिलसिला शुरू होता जिसमें परेश रावल के दोनों किरदार दावा करते हैं- ‘तेजा मैं हूं मार्क इधर है.’  यह डायलॉग अब भी काफी मशहूर है. इस काल्पनिक फिल्म में डबल रोल वाले किरदार को चेहरे पर मार्क के जरिए पहचानने की ट्रिक कितनी सटीक थी इसकी नजीर अब वास्तविक जीवन में दिखाई दी है. यूं तो डबल रोल को महज फिल्मी दुनिया की कल्पना ही माना जाता है लेकिन पुणे में आयोजित हो रहे खेलो इंडिया टूर्नामेंट में यह सच्चाई के रूप में सामने आया है. देश भर के स्कूली बच्चों के इस टूर्नामेंट में चंडीगढ़ से आए 16 साल के दो जुड़वां भाई उधयवीर और विजयवीर दिखने में इस कदर हमशक्ल है कि आधिकारियों के होने वाले कंन्फ्यूजन के बचने के लिए उन्हें चेहरे के मार्क का सहारा लेना पड़ता है. दरअसल उधयवीर अंडर-17  और विजयवीर अंडर 21 कैटेगरी की पिस्टल शूटिंग में हिस्सा ले रहे हैं.  दो साल पहले इन जुड़वां भाइयों की पिता की मौत के बाद इनकी मां इन्हें पाल रही है. खेलो इंडिया के इस टूर्नामेंट में उधयवीर ने अंडर 17 की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया जबकि अंडर 21 में विजयवीर ने सिल्वर मेडल हासिल किया. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक इन दोनों भाइय़ों के एक जैसी शक्ल होने के चलते मेडल सरेमनी में भी काफी गलतफहमी हुई. और फिर फिल्मी किरदार तेजा की तरह उधयवीर को अपने चेहरे का मार्क दिखा कर बताना पड़ा कि असली गोल्ड मेडलिस्ट वह हैं जबकि उनके भाई सिल्वर मेडलिस्ट है. एक जैसे दिखने वाले इन दोनों भाइयों की शक्ल में अंतर करने वाला उधयवीर का यह मार्क जन्मजात नहीं है बल्कि पिछले साल केरल में हुए नेशनल गेम्स के दौरान एक इनफेक्शन के चलते बन गया है और अब यही  मार्क ने इन दोनों भाइयों अपनी-अपनी पहचान साबित करने में सबसे ज्यादा मदद करता है. (तस्वीर साभार: कामेश श्रीनिवासन फेसबुक)

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