पिछले हफ्ते कोलकाता में दिखी विपक्ष की एकजुटता पर बीजेपी के हमले के बाद सहयोगी दल शिवसेना ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव से पहले घबरा गए हैं. शिवसेना ने कहा कि, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (गुजरात में एल एंड टी के हथियार निर्माण केंद्र के मुआयने के दौरान) एक टैंक पर चढ़कर भाषण दिया था. पार्टी ने हैरानगी जताते हुए पूछा, 'तो फिर 22 विपक्षी दलों के एकजुट होने से उन्हें कंपकंपी क्यों छूट रही है.' वहीं, वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सिर्फ मोदी की लोकप्रियता का डर और बीजेपी की सफलताएं हैं जिसने कई अलग - अलग ताकतों को प्रधानमंत्री के खिलाफ एक साथ कर दिया. जेटली ने कहा कि विपक्ष की किसी तरह की गोलबंदी अव्यवहारिक और कम समय तक चलने वाला गठजोड़ होगा, उन्होंने यह भी पूछा, 'क्या यह मोदी बनाम अव्यवस्था होगी ?' जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि इससे (विपक्ष के एकजुट होने से) आम चुनावों में बीजेपी को फायदा होने जा रहा है क्योंकि एक आकांक्षापूर्ण समाज अल्प अवधि के राजनीतिक गठबंधन को वोट देकर 'सामूहिक आत्महत्या' नहीं करेगा. वित्त मंत्री के विचारों से सहमति जताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह बीजेपी की सफलताओं का डर है जिसने विपक्षी पार्टियों को एक साथ ला दिया है. अरुण जेटली के बयान पर क्या बोली टीएमसी? दूसरी तरफ जेटली की बयान पर तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि मुख्यमंत्री (पश्चिम बंगाल) ममता बनर्जी की रैली ने केंद्र की बीजेपी सरकार की बुनियाद हिला कर रख दी है. तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी ने कोलकाता में कहा, 'पिछले दो दिनों (शनिवार) से चाहे वह प्रधानमंत्री हों या अन्य केंद्रीय मंत्री, हर कोई इस रैली के बारे में बातें कर रहा है. हालांकि, ममता बनर्जी केंद्र की सरकार में नहीं हैं फिर भी उन्हें लगता है कि वह इसमें हैं. यही कारण है कि बीमार रहने के बावजूद भी जेटली जी इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'बीजेपी को आभास हो गया है कि उसके गिनती के दिन ही शेष रह गए हैं...ऐसा लगता है कि रैली ने मोदी सरकार की बुनियाद हिला कर रख दी है.' शिवसेना ने कहा है कि मोदी-शाह की जोड़ी को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख सीधी चुनौती दे रही हैं. संपादकीय में कहा गया है, ममता सहित रैली में शिरकत करने वाले अधिकतर नेता एक समय में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में बीजेपी के सहयोगी रह चुके हैं और उन लोगों का मजाक उड़ाने की जरूरत नहीं है. मोदी की सरकार देश की दुश्मन नहीं है, लेकिन उन्हें इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि उनकी सरकार अमर है.ट ममता बनर्जी ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को रैली में आने का न्यौता दिया था लेकिन पार्टी ने कहा कि हमारी रणभेरी हम अपने ही मैदान से फूंकते रहते हैं और वह हमने सबसे पहले फूंकी है. शिवसेना ने कहा, 'ममता बनर्जी के मंच पर उपस्थित सारे नेता धर्मनिरपेक्षतावादी थे. शिवसेना छद्म धर्मनिरपेक्ष नहीं है. हमारी विचारधारा 'हिंदुत्व' है और राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर हमारा रूख दृढ़ है.
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