कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी कोई कसर बाकी नहीं रखेगी, क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहती है. हाल ही में मोदी पर ‘द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर’ नामक पुस्तक लिखने वाले थरूर का कहना है कि सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री तमाम उदार बातें करते हैं, जैसे ‘सबका साथ, सबका विकास’ या ‘संविधान मेरी एकमात्र पवित्र पुस्तक है’, लेकिन अपनी राजनीति और चुनावी समर्थन के लिए वह भारतीय समाज के ‘सबसे अनुदार’ तत्वों पर निर्भर रहते हैं. कांग्रेस महासचिव के रूप में प्रियंका गांधी की नियुक्ति पर तिरूवनंतपुरम से सांसद, 62 वर्षीय थरूर ने कहा कि उनमें मतदाताओं को प्रभावित करने का करिश्मा है और वह पार्टी के लिए मूल्यवान साबित होंगी. थरूर ने कहा, 'लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सभी रोड़े हटा देगी. प्रियंका गांधी को बेहतर अपील वाले और विश्वसनीय व्यक्तित्व के रूप में देखा जा रहा है. अभी तक वह सीमित थीं, सिर्फ पर्दें के पीछे रहकर काम कर रही थीं, खुद को अमेठी और रायबरेली तक ही सीमित कर रखा था.' उन्होंने कहा कि प्रियंका नई भूमिका में हैं और यह दिखाता है कि कांग्रेस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी. जयपुर साहित्य महोत्सव से इतर उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी का लक्ष्य मोदी को उखाड़ फेंकना है. हम मोदी और उनकी सरकार को बाहर करना चाहते हैं.' थरूर ने कहा कि प्रियंका गांधी को सार्वजनिक तौर पर अभी अपनी धाक जमानी है, लेकिन पार्टी में अंदरूनी मामलों में उन्हें देखा गया है. उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने उन्हें टीवी पर देखा है, वह जानते हैं कि वह कितनी जल्दी संपर्क बना लेती हैं, कितनी जल्दी और अच्छे से बोलती हैं, आसानी से लोगों से जुड़ जाती हैं. वह किसी नौसिखिए नेता की तरह व्यवहार नहीं करती.' थरूर ने गौरक्षा, घर वापसी और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री की 'चुप्पी' पर सवाल उठाते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व के केंद्र में विरोधाभास बना हुआ है. उन्होंने कहा, 'मेरे हिसाब से मोदी हिन्दी के सबसे अच्छे वक्ता हैं. फिर भी जब उनके नैतिक नेतृत्व की बात आई तो वह चुप थे. वह अपनी आवाज में उतार-चढ़ाव लाते हैं, अधिकतम प्रभाव के लिए अपने शब्दों का चुनाव करते हैं, नाटकीय हाव-भाव का प्रयोग करते हैं. यह उनकी राजनीतिक अपील का बड़ा हिस्सा है.' उन्होंने सवाल किया, लेकिन वह तब क्यों नहीं बोल सकते, जब पूरे देश को मोहम्मद अखलाक, जुनैद खान, पहलू खान और रोहित वेमुला के परिवारों का दुख साझा करने के लिए एक आवाज की दरकार थी.
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