महिलाओं पर पीरियड्स के समय आज भी होता है अत्याचार, इन प्रथाओं के बारे में जानकर उड़ जाएंगे होश - LiveNow24x7: Latest News, breaking news, 24/7 news,live news

 LiveNow24x7: Latest News, breaking news, 24/7 news,live news

खबरें जो सच बोले

Breaking

Wednesday 16 January 2019

महिलाओं पर पीरियड्स के समय आज भी होता है अत्याचार, इन प्रथाओं के बारे में जानकर उड़ जाएंगे होश

पहले के समय से आज दुनिया बदल चुकी है, परंपराएं, रूढ़ियां, सोच सब कुछ बदल रहा है लेकिन महिलाओं के पीरियड्स को लेकर लोगों की सोच अभी तक नहीं बदली है. पीरियड्स को आज भी अपवित्रता से जोड़कर देखा जाता है. पीरियड्स को लेकर आज भी दुनियाभर में बहुत ही अजीब प्रथाएं चल रही हैं जिनको जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. वैसे तो आजकल की युवा पीढ़ी शिक्षित है जो इन रूढ़िवादी प्रथाओं को कम ही मानती है लेकिन अभी भी कुछ लड़कियां मासिक धर्म के बारे में बात करने से कतराती हैं. इसका कारण यह है कि आज भी कई जगहें ऐसी हैं जहां इन दिनों में महिलाओं से बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है. कुछ ऐसी प्रथाएं जिनके बारे में जानकर आपके होश उड़ जाएंगे. आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में जहां आज भी पीरियड्स के दौरान महिलाओं के साथ अत्याचार किया जाता है. उनका मानसिक रूप से शोषण किया जाता है. हिमाचल प्रदेश की प्रथा कुल्लू-मनाली ऐसी जगह है जहां दुनिया भर से पर्यटक आते हैं और यहां की खूबसूरत वादियों का नजारा लेते हैं लेकिन कुल्लू की एक दूसरी तस्वीर भी है. हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के जाना गांव में महिलाएं पीरियड्स के समय गोशाला में सोती हैं. महिलाओं और लड़कियों को इस समय अपने परिवार से अलग गोबर की गंध के बीच सोना पड़ता है. यहां लोगों का विश्वास है कि पीरियड्स के दौरान अगर औरत घर के अंदर आई तो घर अपवित्र हो सकता है या देवता गुस्सा हो सकते हैं. हालांकि इस प्रथा को अब बदलने की कोशिश की जा रही है. हिमाचल प्रदेश महिला कल्याण की ओर से कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर इस मुहीम को महिलाओं और उनके परिवारों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है लेकिन लोग इस बदलते समय में भी इस रूढ़िवादी प्रथा को मान रहे हैं. नेपाल की प्रथा नेपाल में कई गांवों में माना जाता है कि पीरियड के दिनों में लड़की अपवित्र हो जाती है. इस दौरान लड़की को घर के बाहर झोपड़ी में या पशुओं के बाड़े में रहने के लिए मजबूर किया जाता है. नेपाल में इस प्रथा को छौपदी कहा जाता है जिसका मतलब है अनछुआ. उन पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी जाती है. लड़की घर में नहीं जा सकती. किसी के पैर नहीं छू सकती. खाना नहीं बना सकती. इन दिनों में लड़की को खाने में सिर्फ नमकीन ब्रेड या चावल ही दिए जाते हैं. अगस्त के महीने में नाग पंचमी के समय महिलाएं नहाकर पवित्र होती हैं. इस क्षेत्र में माना जाता है कि महिला द्वारा इस प्रथा को न मानने पर उसकी परिवार में किसी की मौत हो सकती है. लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अपमान और हिंसा भी सहन करनी पड़ती है. कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश की प्रथा कर्नाटक के कई गांवों में जब पहली बार किसी लड़को को पीरियड्स शुरू होते हैं तो उसे दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इसके बाद कई महिलाएं मिकर उसकी आरती उतारते हैं. कई तरह की पूजा-अर्चना भी की जाती है. इस समय को उत्सव की तरह मनाया जाता है. वहीं केरल और आंध्र प्रदेश के कई गांवों में पहली बार उम्र के इस पड़ाव में आने वाली लड़कियां अपने साथ नींबू या फिर लोहा रखती हैं ताकि बुरी ताकतें उनके करीब न आएं. यहां लोगों की मान्यता है कि पहली बार पीरियड्स होने पर लड़कियों पर बुरी ताकत अपना साया डालने की कोशिश करती है. पश्चिम बंगाल की प्रथा [caption id="attachment_89051" align="alignnone" width="1002"] सैनिटरी नैपकिन (प्रतीकात्मक तस्वीर)[/caption] पश्चिम बंगाल के कुछ गांव की हालत तो और खराब है. यहां पीरियड्स के दौरान महिलाओं और लड़कियों के साथ जो किया जाता है उसके बारे में जानकर आपके होश उड़ जाएंगे. जब किसी लड़की को पहली बार पीरियड्स आते हैं तो इसे त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं पीरियड्स के दौरान निकलने वाले रक्त को गाय के दूध और नीरियल के तेल संग मिलाकर पिलाया जाता है. मान्यता है कि पीरियड्स का रक्त पीने से शरीर में नई ताकत और ऊर्जा आती है. सिर्फ इतना ही नहीं यह स्मरण शक्ति बढ़ाने और खुश रखने में भी उपयोगी साबित होता है. बांग्लादेश की प्रथा बांग्लादेश के कई इलाकों में पीरियड्स के दौरान महिलाओं के साथ कई तरह के काम किए जाते हैं. सबसे पहले तो उन्हें खाना बनाने की इजाजत नहीं होती. यहां तक कि महिलाएं दूसरे के रखे खाने को भी नहीं छू सकती. उन्होंने केवल फल खाने को दिया जाता है. उन्हें घर से दूर किसी अनजानी जगह पर रखा जाता है. यह जगह मंदिर के आसपास बिल्कुल नहीं होती. उन्हें किसी भी पवित्र स्थान से दूर रखने की प्रथा है. इन दिनों में वह घरवालों से बात भी नहीं कर सकतीं. यहां के कई गांव में तो महिलाएं अब तक सेनेटरी नैपकिन इस्तेमाल नहीं करती हैं. उत्तराखंड की प्रथा भारत का उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है. यहां के चंपावत जिले के कई गांवों में पीरियड्स के दौरान महिलाओं के साथ काफी भेदभाव किया जाता है. आपको बता दें कि पीरियड्स के दौरान यहां लड़कियों और महिलाओं को घर से बाहर अलग रहना पड़ता है. चंपावत जिले के गांव गुरचम में सरकारी फंड से एक ऐसी बिल्डिंग बनाई जा रही है, जहां पीरियड्स के दौरान घर से बाहर रहने वाली मजबूर महिलाएं और लड़कियां अस्थायी तौर पर रह सकती हैं. ये मामला तब सामने आया, जब गांव के एक दंपती ने मेंस्ट्रूएशन सेंटर के निर्माण को अवैध ठहराते हुए डीएम से इसकी शिकायत की.

No comments:

Post a Comment

Sports

Pages