देश में बेरोजगारी को लेकर अहम आंकड़े सामने आए हैं. नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (National Sample Survey Office-NSSO) के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही, जो पिछले 45 वर्षों के दौरान उच्चतम स्तर है. नेशनल स्टैटिस्टिकल कमीशन (National Statistical Commission-NSC) ने इस रिपोर्ट को सरकार को पिछले साल दिसंबर में सौंप दी थी. हालांकि सरकार ने इन आंकड़ों को अभी तक जारी नहीं किया है. कथित तौर पर सरकार ने आंकड़े जारी नहीं किए जिस कारण एनएससी के दो सदस्यों ने इस सप्ताह इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने वालों में कमीशन के एक्टिंग चेयरमैन भी शामिल थे. इस रिपोर्ट का खुलासा अंतरिम बजट से मात्र एक दिन पहले हुआ है. आम चुनाव से कुछ महीने पहले सामने आए ये आंकड़े सरकार के लिए परेशानी बढ़ा सकते हैं. पहले से बेरोजगारी को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर है. मोदी सरकार में एनएसएसओ की यह पहली रिपोर्ट है, जिसमें नोटबंदी के बाद देश में रोजगार की कमी और नोटबंदी के कारण लोगों की नौकरी जाने का जिक्र है. इस सैम्पल सर्वे में जुलाई 2017 से लेकर जून 2018 तक के आंकड़े लिए गए हैं. न्यूज-18 की खबर के मुताबिक, बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने जिन डाक्यूमेंट को खंगाला है, उसके हिसाब से देश में बेरोजगारी दर 1972-73 के बाद अब सबसे ज्यादा है. सर्वे के अनुसार 2011-12 में बेरोजगारी दर 2.2 प्रतिशत पर थी. इस समय यूपीए की सरकार थी. रिपोर्ट से पता चलता है कि युवाओं की बेरोजगारी दर पिछले वर्षों की तुलना में उच्च स्तर पर है और कुल जनसंख्या की तुलना में यह सबसे अधिक बताई जा रही है.
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