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पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड की जनता बेरोजगारी और गरीबी के चक्कर में पलायन करती हुई उदास है। उधर, मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने में व्यस्त हैं। इसके लिए रघुवर सरकार ने विकास योजनाओं के सैकड़ों करोड़ की राशि को पानी की तरह बहा दिया है।
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हेमंत सोरेन रघुवर सरकार की एक हजार दिन की विफलताओं पर अपने आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। इस मौके पर विभिन्न विपक्षी दलों के नेता बी मौजूद थे।हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार को पता है कि जनता नाराज है। इसलिए जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा अपने प्रचार अभियान पर खर्च कर रही है। इसके लिए देश के 13 राज्यों में पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है।
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सोरेन ने रघुवर सरकार को 71 मासूमों की हत्यारी करार दिया। उन्होंने कहा कि इन मासूमों की मौत स्वास्थ्य सुविधाओं के नहीं मिलने के कारण हुई है।
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उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि तो राजधानी में जहरीली शराब से हुई दो दर्जन लोगों की मौत है।
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रघुवर दास ने इस एक हजार दिन में रांची के आस-पास के गांवों में दर्जन भर किसानों की आत्महत्या का भी तमगा हासिल किया है।
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हरमू में हुए गरीब किसान मेले में जितने की परिसंपत्ति गरीबों के बीच बांटी गई है, उससे अधिक वहां के आयोजन के लिए टेंट हाऊस वाले को दिया गया है।
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"तीसरे से सातवें नंबर पर आए" हेमंत सोरेन ने दावा किया कि उनकी सरकार के दौरान हुए सुधार कार्यों के कारण रघुवर सरकार के आते ही इज ऑफ डुइंग बिजनेस के मामले में झारखंड को देश में तीसरा रैंक मिला। रघुवर सरकार के पिछले तीन साल में झारखंड तीसरे से सातवें रैंक आ गया है।
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हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुवर सरकार की उपलब्धियों को ढूंढ़ना भूंसे में सुई खोजने के बराबर है।
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उन्होंने विफलताओं को गिनाते हुए 32 सवाल किए। सरकार से मांगा इनका जवाब
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सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन वापस लेने के बाद राज्य की जनता से माफी क्यों नहीं मांगी।
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जमीन अधिग्रहण बिल में सामाजिक अंकेक्षण का प्रावधान किस उद्योगपति के दबाव में हटाया गया।
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जब स्थानीय नीति में बाहरी लोगों को स्थानीय बना दिया गया है तो स्थानीय लोगों को नौकरी कैसे मिलेगी।
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शहरी इलाकों में होल्डिंग टैक्स में क्या इससे पहले कभी इतनी वृद्धि हुई है।
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स्मार्ट सिटी के निर्माण से आदिवासियो-मूलवासियों का कल्याण होगा या कॉरपोरेट घरानों का। राज्य में कुपोषण के कारण चार लाख बच्चों की जान खतरे में है। इसके लिए जिम्मेवार कौन है।
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