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Thursday 4 May 2017

द्रौपदी मुरमू होंगी देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति? पसंदीदा उम्मीदवारों में टॉप-5 में पहुंची


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बाबरी मसजिद विध्वंस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर फिर से केस चलाये जाने की सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद आडवाणी और जोशी के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. अंदरखाने से जो खबरें आ रही हैं, उससे ऐसे संकेत मिले हैं कि देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिल सकती है.
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जी हां, झारखंड की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुरमू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हो सकती हैं. यदि भाजपा ने द्रौपदी मुरमू को अपना प्रत्याशी बनाया, तो झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोरचा (झामुमो) का भी समर्थन उसे हासिल हो सकता है.
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.झारखंड विधानसभा में झामुमो मुख्य विपक्षी पार्टी है. उसी जनाधार की आजसू पार्टी भाजपा गठबंधन की सरकार में पार्टनर है. संयोग से द्रौपदी झारखंड और देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल हैं. द्रौपदी को प्रत्याशी बना कर भाजपा और सरकार देश को अलग संदेश दे सकती है.
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महिला और स्वच्छ छवि के चलते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी दौड़ में हैं, लेकिन उनकी सेहत ठीक नहीं होने की वजह से उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गयी है.
दक्षिण के पिछड़ी जाति के नेता और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को भी दौड़ में माना जा रहा है, लेकिन उनके नाम पर विपक्ष सहमत होगा, इस पर भाजपा को संदेह है. इन परिस्थितियों में द्रौपदी मुरमू की दावेदारी अधिक मजबूत और तार्किक बतायी जा रही है.
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ओड़िशा के आदिवासी परिवार में हुआ जन्म
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओड़िशा के एक आदिवासी परिवार में हुआ. रामा देवी वीमेंस कॉलेज से बीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने ओड़िशा के राज्य सचिवालय में नौकरी की. 1997 में नगर पंचायत का चुनाव जीत कर राजनीति में पदार्पण किया. पहली बार स्थानीय पार्षद (लोकल काउंसिलर) बनीं. पार्षद से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का उनका सफर देश की सभी आदिवासी महिलाओं के लिए एक आदर्श और प्रेरणा है. वह ऐसे राज्य से ताल्लुक रखती हैं, जहां 2014 के मोदी लहर में भी भाजपा सिर्फ खाता ही खुला था. राज्य में लोकसभा की 21 सीटें हैं. 20 सीटें बीजद ने जीती थीं.
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साफ-सुथरी राजनीतिक छवि
अपनी शिक्षा और साफ-सुथरी राजनीतिक छवि के कारण द्रौपदी को भाजपा आलाकमानों ने हमेशा तरजीह दी. वह भाजपा के सामाजिक जनजाति (सोशल ट्राइब) मोरचा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर काम करती रहीं और वर्ष 2015 में उनको झारखंड का राज्यपाल बना दिया गया. अब उन्हें अगले राष्ट्रपति के तौर पर देखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि उनका नाम भारत के राष्ट्रपति के चुनिंदा पांच उम्मीदवारों में शामिल कर लिया गया है.

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