15 मार्च को केंद्र सरकार ने पिछले 2 साल से लंबित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को मंजूरी दे दी इस नीति के जरिए देश में सभी को निश्चित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार एक बड़े नीतिगत बदलाव के तहत यह नीति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर के दायरे में आने वाले क्षेत्र को बढ़ाती है और एक विस्तृत दायरा बनाती है जैसे की अब तक पीएचसी टेबल टीकाकरण प्रसूति पूर्व जांच एवं अन्य के लिए होते थे लेकिन अब बड़ा नीतिगत बदलाव यह वह है कि इसमें गैर संक्रामक रोगों की जांच और कई अन्य पहलू भी शामिल किए गए हैं नई नीति के तहत जिला अस्पतालों का उन्नयन पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और पहले वाले से अमल में लाने की रूपरेखा प्यार की जाएगी इस मीटिंग में स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार तो नहीं बनाया गया है लेकिन यह सुनिश्चित किया गया है कि स्वास्थ्य को प्रस्तावित करती है इसमें पहले वर्ष 1983 और 2002 में भी केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य नीति लेकर आई थी फिलहाल देश में 2002 की स्थिति लागू है।
प्रमुख बिंदु
* अब मरीजों को निजी अस्पताल में भी इलाज कराने की छूट मिलेगी
*विशेषज्ञों से इलाज के लिए लोगों को सरकारी व निजी अस्पताल में जाने की छूट होगी
*स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्राइवेट अस्पतालों को ऐसे इलाज के लिए रकम दी जाएगी
*इस समय देश में डॉक्टर से सलाह में 80% और अस्पताल में भर्ती होने के इस मामले में 60% हिस्सा निजी क्षेत्र का है
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