मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सुझाव पर राज्य में नर्मदा नदी को ‘जीवित इकाई’ घोषित किया है। इस नदी को नुकसान पहुंचाने वाले को जीवित इकाई के लिए तय प्रवधानों के अनुरूप दंडित किया जाएगा। गौरतलब है कि हाल ही में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गंगा और यमुना को जीवित इकाई का दर्जा दिया है। भारत में यह अपनी तरह का पहला और अब तक का एकलौता फैसला है।
राज्य में नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए चल रही ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ के दौरान सोमवार को मंडला में केंद्रीय गृहमंत्री ने नर्मदा नदी को जीवित इकाई का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव विधानसभा में लाने का सुझाव दिया।
इस पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में अब नर्मदा नदी को जीवित इकाई मानते हुए इसको नुकसान पहुंचाने वाले को जीवित इकाई के अनुरूप ही दंडित किया जाएगा। विधानसभा में इस संबंध में विधेयक पारित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। पेयजल, सिंचाई एवं बिजली के लिए समूचा प्रदेश नर्मदा पर निर्भर है। नदियों के जलस्तर में हो रही कमी चिंतनीय है, पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी। प्रकृति के संरक्षण के लिए सरकार के साथ समाज की सहभागिता आवश्यक है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा मध्यप्रदेश सरकार की ऐसी पहल है, जिसने समूचे विश्व का ध्यान केंद्रित किया है। यह यात्रा जनचेतना के लिए अब तक किए गए सभी अभियानों में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि यात्रा का सराहनीय पक्ष यह है कि इसमें पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ सामाजिक सरोकार की भी चिंता की गई है।
‘नमामि गंगे’ अभियान का जिक्र करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश की सभी नदियों को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया है, जिसके लिए 20 हजार करोड़ का प्रावधान किया जा रहा है। जनसंवाद कार्यक्रम को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी संबोधित किया।
No comments:
Post a Comment