14 मार्च को संसद ने शत्रु संपत्ति विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी।इस विधायक मैं युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर गए लोगों को द्वारा छोड़े गए संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावे को रोकने के प्रयोजन किए गए हैं लोकसभा ने शत्रु संपत्ति विधेयक 2017 में राज्यसभा में किए गए संशोधन की मंजूरी प्रदान करते हुए इसे धानी मत से पारित कर दिया राज्यसभा इससे पहले ही पारित कर चुकी है यह विधायक के संबंध में सरकार द्वारा जारी किया गया अध्यादेश का स्थान लेगा।इस कानून में संशोधन से जुड़े अध्यादेश की अवधि 14 मार्च 2017 को समाप्त हो गई।
क्या है शत्रु संपत्ति ?
भारत पाकिस्तान के बीच 1965 व 71 और चीन के साथ 1962 में हुए युद्ध के बाद कई लोग देश छोड़ कर चले गए भारत रक्षा अधिनियम के अनुसार जो लोग देश छोड़कर चले गए और दूसरे देश की नागरिकता ले ली है उन लोगों या कंपनियों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया जाता है और सरकार उस संपत्ति की देख रेख के लिए कस्टोडियन की नियुक्ति कर देती है सरल शब्दों में कहा जाए तो शत्रु संपत्ति का मतलब किसी भी ऐसे संपत्ति से है जो किसी शत्रु शत्रु व्यक्ति अतः शत्रु फार्म से संबंधित हो उसकी तरफ से संगठित या प्रबंधित हो।सरकार ने इन संपत्तियों के भारत के लिए शत्रु संपत्ति संरक्षक के अधिकार क्षेत्र में दे दिया है।
शत्रु संपत्ति संरक्षक ऐसा कार्यालय है जिसकी स्थापना केंद्र सरकार के अधीन हुई है 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति कानून लागू किया गया था जो इस तरह की संपत्तियों का नियमन करता है।
शत्रु संपत्ति अधिनियम भारत सरकार ने 1968 में लागू किया था जिसके अंतर्गत परिक्षण में शत्रु संपत्ति को रखने की सुविधा प्रदान की गई थी केंद्र सरकार भारत में शत्रु संपत्ति के अभिलक्षण के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में फैली शत्रु संपत्तियों को अपने अधिकार में रखती है इसके अलावा सत्य संपत्तियों के तौर पर चल अचल संपत्तियों की श्रेणी भी शामिल है।
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