झारखण्ड,प०बंगाल , उड़ीसा में निवास करने वाले मूलनिवासियो और आदिवासियों तथा खासकर " " कुड़मियों " के द्वारा मनाया जाने वाला लोक आस्था का परब " भोक्ता परब" जो चैत्र माह के संक्रांति से शुरू होकर जेठ माह तक चलने वाले इस महान पर्ब की शुरुआत हो चुका है।
" भोक्ता परब" जिसे " चड़कपरब, वीशु ,मंडा, महादेव मंडा, गाँजन " दि विभिन्न नामों से जाना जाता है।
भोक्ता पर्ब भगवान " भोलेनाथ " को समर्पित पर्ब है जिसे इस क्षेत्र के लोग" आदि पुरुष" , " बूढ़ा बाबा " के नाम से मानते हैं और पूजते हैं।
भोक्ता परब मूलतः शोक का त्योहार है। लोग उपवास रखते हैं,सफेद वस्त्र धारण करते हैं,हाथ में लोहे का छड धारण करते हैं।
आदि पुरुष" बाबा भोलानाथ " जिसे " बूढ़ा बाबा" भी कहा जाता है के मृत्यु के दिवस के रूप में मनाया जाता है। लोग अपना दुख और शोक प्रकट करने के लिए
" अग्नि " में चलते हैं । शरीर में और जीभ में लोहे की कील से आर-पार कर दुख प्रकट करते हैं।
पीठ में लोहे के कीलों और तार चुभोकर कई फीट लम्बे लकड़ी के खंभे में ढाई चक्कर घूमते हुए " बोम बोम , भोले ," बोम-बोम " चिल्लाते हुए आराधना करते हैं।
जोहार " बूढ़ा बाबा" ।
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