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Friday 1 March 2019

Review: ‘लुका छिपी’ दर्शकों के साथ हंसी के मामले में लुका छिप्पी का खेल खेलती है

  आप पूरी फिल्म में पंकज त्रिपाठी को एक तरफ रख दीजिए और बाकी सितारों को एक तरफ. कहने का मतलब ये है कि फिल्म देखते वक्त जितनी हंसी पंकज त्रिपाठी को अकेले देख कर आती है, उतनी हंसी बाकी फिल्म के सितारे मिलकर भी निकालने में नाकामयाब रहे हैं और मेरे लिए फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी यही है. इस फिल्म में एक और बात गौर करने वाली ये है कि पंकज त्रिपाठी के अलावा विनय पाठक और अपारशक्ति खुराना भी हैं जिनकी कॉमेडी पर खासी पकड़ है लेकिन पूरी फिल्म में वो नजर तो जरूर आते हैं लेकिन कॉमेडी करते हुए नहीं. एक कॉमेडी फिल्म में इन कलाकारों से अगर काम नहीं लिया जाए तो वो कमजोर निर्देशन की ही निशानी मानी जाएगी. शायद मैं यहां फिल्म पर कुछ ज्यादा ही कड़ाई बरत रहा हूं लेकिन सच्चाई ये भी है कि फिल्म देख कर आप ठगा हुआ महसूस नहीं करेंगे क्योंकि हंसने के कई मौके इस फिल्म में आपको मिलेंगे और आपको स्वस्थ मनोरंजन मिलेगा. लेकिन कॉमेडी ऑफ एरर्स के इस खेल मे मस्ती दोगुनी हो सकती थी जो हुई नहीं. लेकिन फिर भी आप इस फिल्म को जरुर आजमाईए. फिल्म की कहानी मथुरा के एक प्रेमी युगल के लिव-इन रिश्ते के बारे में है फिल्म की कहानी मथुरा के रहने वाले गुड्डू शुक्ला (कार्तिक आर्यन) और शुक्ला परिवार के बारे में है. गुड्डू मथुरा के एक लोकल चैनल में न्यूज रिपोर्टर है. शहर के बाहुबली त्रिवेदी जी (विनय पाठक) की बेटी रश्मी त्रिवेदी (कृति सनोन) जब दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई कर कुछ महीनों के लिए वापस मथुरा आती है तब उसके पिता लोकल चैनल के एडिटर से सिफारिश करते हैं कि उसको वहां पर कुछ समय के लिए इंटर्न का काम दे दे. रश्मी को गुड्डू की न्यूज रिपोर्टिंग में सहायक रिपोर्टर का काम मिल जाता है. इस बीच शुक्ला परिवार में इस बात को लेकर काफी चिंता है कि उसके मझले बेटे की शादी नहीं हो पा रही है. जब गुड्डू, रश्मि के प्यार में पड़ जाता है तो वो फौरन शादी की बात कर देता है लेकिन रश्मी उसके प्रपोजल को मना कर देती है और इसके बदले मे वो सुझाव देती है कि वो कुछ समय के लिए लिव-इन रिश्ते में रहें. इस बीच जब गुड्डू को ग्वालियर में काम का मौका मिलता है तब रश्मि भी उसके साथ हो लेती है और फिर वहां पर दोनों अपने लिव-इन रिश्ते को जामा पहनाते है. इस बीच कॉमेडी ऑफ एरर्स का एक पूरा सैलाब आता है जिसका निपटारा फिल्म के अंत में ही होता है. पंकज त्रिपाठी का फिल्म में शानदार अभिनय जिसकी चमक में सभी धूमिल पड जाते हैं अभिनय के मामले में कहना पड़ेगा कि अपनी छोटी सी भूमिका में पंकज त्रिपाठी सभी के ऊपर भारी पड़े है. उनका काम और उनके डायलॉग्स बेहद ही लुभावने हैं.  जब-जब वो पर्दे पर आएंगे ये बात निश्चित है कि आप अपना पेट पकड़ कर खुल कर हसेंगे. कृति सैनन अपने रोले में जची हैं लेकिन कार्तिक आर्यन अगर कुछ जगहों पर ठीक-ठाक नजर आते हैं, तो वहीं कुछ जगहों पर उनकी कमी भी पूरी तरह से नजर आती है. एक बात तय है कि कार्तिक को कॉमेडी के गुर सीखने में एक लम्बा सफर तय करना है. अपारशक्ति खुराना फिल्म में कार्तिक के दोस्त बने है और उनका काम भी काफी लुभावना है. देखकर थोड़ा अफसोस होता है कि निर्देशक ने कॉमेडी करने के मामले में उनके हाथ पैर बांध दिए है. इसके अलावा चाहे वो शुक्ला परिवार हो या फिर त्रिवेदी परिवार, दोनों परिवार के सदस्यों ने अपना काम पूरी ईमानदारी से निभाया है. कॉमेडी ऑफ एरर को फिल्म का बेस बनाया गया है हिंदी और मराठी फिल्मों मे बतौर सिनेमोटोग्राफर लक्ष्मण उतेकर एक जाना-माना नाम है और इस फिल्म से उन्होंने हिंदी फिल्मों के निर्देशन की अपनी पारी की शुरुआत की है. उनके इस पहले सफर मे रोड़े जरुर हैं लेकिन उनकी खूबी भी साफ नजर आती है. आने वाले समय में हम उनसे उम्मीदें रख सकते हैं. इस फिल्म का सार बड़ा ही सिंपल है जब एक छोटे शहर में प्रेमी युगल लिव-इन रिश्ते को अपना लेते हैं तो शहर में क्या होता है. इसी को फिल्म का प्रेमिसे बनाकर कहानीकार रोहन शंकर ने इसकी कहानी लिखी है और रोहन शंकर की ये कहानी लुभाती है. अगर महज छोटे शहर का बेस बनाकर इसकी तुलना ‘स्त्री’ से करें तो उस मामले ये फिल्म उसके पीछे ही खड़ी रहती है. अगर ‘स्त्री’ की स्क्रिप्ट में पूरी कसाव थी तो यहां पर कई जगहों पर लूप होल्स दिखाई देते हैं. कुछ एक जगहों पर हंसाने की कोशिश धरी की धरी रह जाती है और इसमें से कई सीन्स वो हैं जिसमें कार्तिक आर्यन हैं, लेकिन विनय पाठक, अपारशक्ति खुराना, पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकारों ने फिल्म की लगाम पकड़ ली है और उसे ढीला नहीं होने दिया है. इस फिल्म की असल मस्ती इंटरवल के बाद शुरू होती है जब उनकी पोल खुल जाती है और दोनों परिवार उनकी शादी करने में जुट जाते हैं. ‘लुका छुपी’ कोई वैसी फिल्म नहीं है. इसको देखकर आप अपना पेट पकड़ कर हंसेंगे. लेकिन ये भी सच है कि फिल्म में आप दो घंटे और पांच मिनट के लिए इनवेस्टेड जरूर रहेंगे. हल्का-फुल्का मनोरंजन और पंकज त्रिपाठी की रंगीली कॉमेडी आपको देखनी है तो इस हफ्ते आप ‘लुका छुपी’ का रुख कर सकते हैं.

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