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Tuesday 19 March 2019

ISL 2018-19: बेंगलुरू के लिए तुरूप का इक्का साबित हुए भारतीय खिलाड़ी


बेंगलुरू एफसी बिना किसी शक के इंडियन सुपर लीग चैंपियन बनने के हकदार थे. रविवार को बेंगलुरू ने एफसी गोवा को 1-0 से हराकर पहली बार यह खिताब जीता और उसकी 1-0 की जीत के हीरो भारतीय खिलाड़ी राहुल भेके रहे, जिन्होंने अपने करियर का सबसे बेशकीमती गोल करते हुए दूसरे प्रयास में ही बेंगलुरू को चैम्पियन का ताज पहना दिया. बेंगलुरू को यह जीत हालांकि आसानी से नहीं मिली क्योंकि गोवा ने बेहतरीन खेल दिखाया. सुपर कप विजेता बेंगलुरू ने पूरे सीजन के दौरान अपने प्रदर्शन की निरंतरता को बनाए रखा और सही समय पर सटीक हमला करते हुए गोवा को दूसरी बार खिताबी जीत से महरूम रखा. बेंगलुरू ने खिताब तक के सफर में विपक्षी टीम के हर सवाल का सटीक जवाब दिया. इस टीम ने दबाव में अच्छा खेल दिखाया और काउंटर अटैक का बेहतरीन नजारा पेश किया. कई मौकों पर विपक्षी टीम उस पर हावी होती दिखी, लेकिन इसके बावजूद इस टीम ने दबाव को झेलते हुए खिताब तक का रास्ता तय किया. सुनील छेत्री और एरिक पार्टालू जैसे खिलाड़ियों के रहते बेंगलुरू ने कई मौकों पर अहम जीत हासिल की. इसी तरह का एक वाक्या गोवा के साथ हुआ था, लेकिन 10 खिलाड़ियों के साथ खेल रहे होने के बावजूद उसने 3-0 की यादगार जीत हासिल की थी. इस टीम ने कई अच्छे कमबैक किए. सबसे यादगार कमबैक प्लेआॅफ में नॉर्थईस्ट युनाइटेड एफसी के खिलाफ रहा, जहां पहले चरण में 1-2 से हारने के बाद इस टीम ने दूसरे चरण में जीत हासिल करते हुए फाइनल के लिए स्थान सुरक्षित किया. कोच चार्ल्स कुआडार्ट ने इस टीम को पजेशन बेस्ड सिस्टम के लिए तैयार किया और इसके विकास के लिए काफी व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाया. 50 साल के चार्ल्स ने एक ऐसी टीम के साथ खूब मेहनत किया, जिसके पास बीते सीजन के दौरान गहराई नहीं थी. इस सीजन में उसके कई खिलाड़ी मसलन मीकू और पार्टालू चोटिल रहे लेकिन बावजूद इसके बेंगलुरू की टीम ने अपना सफर जारी रखा. बेंगलुरू टीम में शामिल भारतीय खिलाड़ियों ने पूरे सीजन के दौरान शानदार खेल दिखाया. दूसरी टीम में शामिल भारतीय खिलाड़ी इस तरह की चमक नहीं दिखा सके. उदांता सिंह, सुनील छेत्री, राहुल भेके, गुरप्रीत सिंह संधू ने आगे आकर टीम को जीत दिलाने की जिम्मेदारी ली और उसकी खिताबी जीत के नायक बने. उदांता ने इस सीजन में पांच गोल किए और इस छोर की जिम्मेदारी को बखूबी सम्भाले रखा. छेत्री ने कप्तान के तौर पर बेहतरीन काम किया और गुरप्रीत ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जीता. भेके ने अतिरिक्त समय में गोल करते हुए पेनाल्टी शूटआउट की सम्भावना को टाल दिया, जिसमें कुछ भी हो सकता था. जहां तक विदेशी खिलाड़ियों की बात है तो जुआनन ने डिफेंस में बेहतरीन काम किया और लगातार संयम के साथ पोस्ट की रक्षा की. गोल्डन बूट जीतने वाले फेरान कोरोमिनास को जुआनन ने सफल नहीं होने दिया.
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