सुजॉय घोष और थ्रिलर फिल्मों का नाता पुराना है. अपने हुनर का परिचय उन्होंने विद्या बालन स्टारर कहानी में दे दिया था. आगे चल कर उनकी कहानी 2 और तीन भले ही बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा नहीं चली हो लेकिन मौजूदा निर्देशकों की जमात में उन्होंने अपनी इमेज एक ऐसे फिल्ममेकर के रूप में बना ली है जिनकी फिल्मों के सस्पेंस और थ्रिल से दर्शको का मनोरंजन होता है. बदला उसी परंपरा को आगे बढ़ाती है और कहना पड़ेगा की इस बार भी सुजॉय ने निराश नहीं किया है. बदला एक कसी हुई फिल्म है जो आपका मनोरंज कराती है और अपने पूरे अवधि मे आपको अपने मोबाइल फोन के मेसेज चेक करने का मौका नहीं देती है. लेकिन फिल्म के लिए अगर किसी को दाद देनी पड़ेगी तो वो है लेखक और निर्देशक ओरिओल पाउलो को जिनकी स्पेनिश फिल्म कंट्राटेम्पो या फिर द इनविजिबल गेस्ट की ये ऑफिसियल रीमेक है. अपने प्रेमी को मारने का इल्जाम तापसी पन्नू पर है और उसका केस अमिताभ बच्चन लेते है बदला की कहानी नैना सेठी (तापसी पन्नू) की है जिनके ऊपर अपने प्रेमी अर्जुन जोसफ (टोनी ल्यूक) को मारने का इल्जाम है. जब कानून की हथकडियो से बचने का नैना सेठी के पास कोई रास्ता नहीं होता है तब वो अपने बचाव के लिए वकील बादल गुप्ता (अमिताभ बच्चन) का सहारा लेती है जो अपने 40 साल के लीगल करियर में कोई भी केस हारे नहीं है. इसके बाद एक अलग किस्म की जांच पड़ताल की शुरुआत होती है जो आपको अपने सीट से बांधकर रखती है. नैना सेठी से दो घंटे की पूछताछ होती है और फिल्म की अवधी भी इतनी ही है जहा पर कहानी नॉन लीनियर फॉर्मेट में कही जाती है. सुजॉय घोष के निर्देशन की धार बदला से वापस आयी है सुजॉय घोष को पूरे नंबर इस फिल्म के लिए मिलने चाहिए की उन्होंने ओरिजिनल स्पेनिश फिल्म का सार इस फिल्म में सहेज कर रखा है और कही भी समझौता नहीं किया है. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं की कई बार जब बॉलीवुड की फिल्में हॉलीवुड या फिर किसी और भाषा से प्रेरित होकर बनती है तब उन फिल्मों का सार कही ना कही खो जाता है. शायद हालिया समय में बदला बॉलीवुड फिल्मों के लिए एक सबक है कि बाहर की फिल्मों को हिन्दी में कैसे रूपांतरित किया जाए. ग्लासगो की वादियों में सिनेमेटोग्राफर अविक मुखोपाध्याय ने फिल्म के तनाव भरे मूड को बड़े ही शानदार तरीके से अपने कैमरे में उसको कैद किया है. ये वही अविक है जो इसके पहले फिल्म अक्टूबर के लिए काफी वाह वाही बटोर चुके है. फिल्म की गति बेहद ही तेज है और बोरियत नहीं होती है और इसके लिये फिल्म की एडीटर मोनिशा बलदावा बधाई की पात्र है. सुजॉय का निर्देशन बिल्कुल निशाने पर है और गानों इत्यादि से उन्होंने अपनी कहानी को दूर ही रखा है. अमिताभ, तापसी और अमृता सिंह का सटीक अभिनय अभिनय की बात करे तो पूरी फिल्म अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू के इर्द गिर्द ही घूमती है। कहना पड़ेगा की दोनों ने जहा पर पिंक में चीज़ो को छोड़ा था इस फिल्म में शुरुआत वही से की है. दोनों ही अभिनेता एक दूसरे के पूरक है फिल्म में. जब अमिताभ बच्चन महाभारत के प्रसंगो का रेफरेन्स देते है तो वह काफी दिलचस्प देखने में लगता है. अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर से बता दिया है कि मौजूदा दौर के वह सबसे बेहतरीन नायक क्यों कहे जाते है. तापसी पन्नू भी एक आरोपी की भूमिका में पूरी तरह से जची है और उनका अभिनय बेहद साधा हुआ है. मलयालम फिल्मों के अभिनेता टोनी ल्यूक इस फिल्म से बॉलीवुड में अपना पदार्पण कर रहे है और उनका अभिनय भी लोगो को पसंद आएगा. इसके अलावा मानव कॉल और डेंजिल स्मिथ भी फिल्म में अहम् भूमिका में है और अपने रोल के साथ न्याय किया है. लेकिन अगर स्पॉटलाइट किसी के ऊपर फिल्म में पड़ती है तो वह है अमृता सिंह जो टू स्टेट्स के बाद परदे पर नजर आई है. अमृता सिंह का अभिनय में का फिल्म शानदार है और उन्होंने जता दिया है कि टैलेंट पर उम्र की कोई बंदिश नहीं होती है. बदला आपका पूरा मनोरंजन करवाएगी बदला एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है और मुमकिन है कि फिल्म की बारीकियों को समझने वाले शायद फिम के टाइटल से ही बहुत कुछ निकाल ले लेकिन इसके बावजूद आप सुजॉय घोष की इस फिल्म पर अपने मनोरंजन के लिए भरोसा कर सकते है और हां अमिताभ बच्चन में अभी भी काफी दमखम है ये आपको बदला देख कर पता चल जायेगा.
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