भारत के जूनियर निशानेबाजी कोच जसपाल राणा ने मंगलवार को अपने शिष्यों को अभिनव बिंद्रा के नक्शेकदम पर चलने और ‘फोन बंद रखने और सोशल नेटवर्किंग से दूर रहने’ के लिए कहा. एशियाई खेलों में कई स्वर्ण पदक जीतने वाले राणा ने ओलंपिक कोटा हासिल करने की कवायद में लगी मनु भाकर के आईएसएसएफ विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा से क्वालीफाईंग दौर में ही बाहर होने के बाद यह बात कही. भाकर 25 मीटर पिस्टल में भी पोडियम तक पहुंचने में नाकाम रही थी और उन्हें अब बीजिंग में होने वाले अगले विश्व कप तक इंतजार करना होगा. राणा ने कहा, ‘वे जो अनुशासित हैं और जो किसी अन्य चीज में लिप्त नहीं है वे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. हमें निशानेबाजों की अच्छी तरह से देखरेख करने की जरूरत है क्योंकि यह पहला कदम है. कोटा हासिल करना मुश्किल नहीं है लेकिन हम अब ओलंपिक के बारे में बात कर रहे हैं. इस साल के आखिर तक हमें काफी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना है और हमारे पास काफी कोटा स्थान होंगे. हाल के वर्षों में युवा निशानेबाजों की सफलता में अहम भूमिका निभाने वाले राणा ने उम्मीद जताई कि यहां का निराशाजनक प्रदर्शन उन खिलाड़ियों के लिये सबक होगा जो अपनी जीत तय मानकर चलते हैं. चयन विवाद के कारण राणा विश्व कप से पहले के राष्ट्रीय शिविर का हिस्सा नहीं थे. उनसे पूछा गया कि क्या शिविर में उनकी अनुपस्थिति से किसी तरह का अंतर पैदा हुआ है? उन्होंने कहा, ‘मेरे शिविर में होने या न होने से कोई अंतर पैदा नहीं होने जा रहा है. लेकिन इस परिणाम के भी कुछ सकारात्मक पहलू हैं।. लोग अब अपनी जीत तय मानकर नहीं चलेंगे.’
Wednesday, 27 February 2019
Shooting World Cup: तो क्या सोशल मीडिया है मनु भाकर की नाकामी का जिम्मेदार!
भारत के जूनियर निशानेबाजी कोच जसपाल राणा ने मंगलवार को अपने शिष्यों को अभिनव बिंद्रा के नक्शेकदम पर चलने और ‘फोन बंद रखने और सोशल नेटवर्किंग से दूर रहने’ के लिए कहा. एशियाई खेलों में कई स्वर्ण पदक जीतने वाले राणा ने ओलंपिक कोटा हासिल करने की कवायद में लगी मनु भाकर के आईएसएसएफ विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा से क्वालीफाईंग दौर में ही बाहर होने के बाद यह बात कही. भाकर 25 मीटर पिस्टल में भी पोडियम तक पहुंचने में नाकाम रही थी और उन्हें अब बीजिंग में होने वाले अगले विश्व कप तक इंतजार करना होगा. राणा ने कहा, ‘वे जो अनुशासित हैं और जो किसी अन्य चीज में लिप्त नहीं है वे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. हमें निशानेबाजों की अच्छी तरह से देखरेख करने की जरूरत है क्योंकि यह पहला कदम है. कोटा हासिल करना मुश्किल नहीं है लेकिन हम अब ओलंपिक के बारे में बात कर रहे हैं. इस साल के आखिर तक हमें काफी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना है और हमारे पास काफी कोटा स्थान होंगे. हाल के वर्षों में युवा निशानेबाजों की सफलता में अहम भूमिका निभाने वाले राणा ने उम्मीद जताई कि यहां का निराशाजनक प्रदर्शन उन खिलाड़ियों के लिये सबक होगा जो अपनी जीत तय मानकर चलते हैं. चयन विवाद के कारण राणा विश्व कप से पहले के राष्ट्रीय शिविर का हिस्सा नहीं थे. उनसे पूछा गया कि क्या शिविर में उनकी अनुपस्थिति से किसी तरह का अंतर पैदा हुआ है? उन्होंने कहा, ‘मेरे शिविर में होने या न होने से कोई अंतर पैदा नहीं होने जा रहा है. लेकिन इस परिणाम के भी कुछ सकारात्मक पहलू हैं।. लोग अब अपनी जीत तय मानकर नहीं चलेंगे.’
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