भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कमी है. इसी के साथ रेपो रेट 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी पर आ गया है. अगर बैंक यह राहत आम आदमी को ट्रांसफर करते हैं तो EMI को बोझ कम हो सकता है. रेपो रेट घटाने का फैसला गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया है. उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई गवर्नर बनाया गया था. पहले से यह उम्मीद थी कि महंगाई दर लगातार कम रहने से दरों में नरमी आ सकती है. दास ने कहा कि महंगाई दर अपने 4 फीसदी के टारगेट से कम रहेगा. एक्सपोर्ट ग्रोथ के मामले में भी RBI ने आंकड़े जारी किए. सालाना आधार पर नवंबर और दिसंबर 2018 में एक्सपोर्ट ग्रोथ फ्लैट रहा. यानी इसमें ना कोई तेजी आई ना कमी. RBI ने फिस्कल ईयर 2019-20 के लिए GDP 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. फिस्कल ईयर 2019-20 की पहली छमाही में महंगाई दर 3.2 से 3.4 फीसदी रहने का अंदाजा लगाया है. वहीं तीसरी तिमाही में महंगाई 3.9 फीसदी रह सकती है. पिछले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में RBI ने रेपो रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया है. उससे पहले चालू वित्त वर्ष की अन्य दो समीक्षाओं में प्रत्येक बार उसने दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की थी. वर्तमान में रेपो दर 6.50 प्रतिशत है. इससे पहले दिसंबर 2018 में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा था लेकिन सबकुछ ठीक रहने पर वह दरों में कटौती करेगा. खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट के चलते रिटेल इनफ्लेशन दिसंबर 2018 में 2.19 प्रतिशत रही जो 18 माह का निचला स्तर है.
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