अरुणाचल प्रदेश में 6 समुदायों को स्थाई निवासी प्रमाण-पत्र (पीआरसी) दिए जाने की सिफारिश के विरोध में राज्य में बड़े पैमाने पर हो रहे प्रदर्शनों के बीच रविवार को कथित रूप से पुलिस गोलीबारी में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई जबकि तीन अन्य जख्मी हो गए. पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी. पुलिस ने उस वक्त गोलीबारी की जब दोपहर के समय यहां ईएसएस सेक्टर में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू के निजी आवास पर हमला करने की कोशिश की. सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों से लौट जाने की अपील की, लेकिन अपील को अनसुना करते हुए प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री के आवास की तरफ बढ़े और पत्थरबाजी करने लगे. सूत्रों ने बताया कि हालात को काबू में करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें 20 और 24 साल के बीच की उम्र के दो युवक मारे गए. उन्होंने बताया कि शुक्रवार की रात कथित पुलिस फायरिंग में मारे गए एक अन्य व्यक्ति का शव प्रदर्शनकारियों ने यहां आईजी पार्क में रख दिया और कहा कि मृतकों के शव को तब तक नहीं दफनाया जाएगा, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं. अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव सत्य गोपाल ने यहां एक बयान में कहा, ‘नामसाई और चांगलांग जिलों के गैर-एपीएसटी (अरुणाचल प्रदेश अनुसूचित जनजातियों) को पीआरसी दिए जाने से जुड़े मौजूदा हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने फैसला किया है कि पीआरसी दिए जाने को लेकर आगे कोई कदम नहीं उठाया जाएगा.’ प्रदर्शनकारी पीआरसी मुद्दे के स्थायी समाधान, मुख्यमंत्री के तत्काल इस्तीफे, प्रदर्शनकारियों (करीब 40) की बिना शर्त रिहाई और मुख्य सचिव एवं अन्य के तत्काल तबादले की मांग कर रहे हैं. यहां के सबसे बड़े समुदाय ‘निशी’ की सर्वोच्च संस्था ‘निशी एलीट सोसाइटी’ (एनईएस) ने लोगों से शांत रहने और अधिकतम संयम बरतने की अपील की है ताकि हिंसा बढ़ने से रोकी जा सके. एनईएस ने 21 और 22 फरवरी को किए गए बंद से निपटने में लापरवाही और ‘लोगों की नब्ज समझ पाने में नाकामी’ के लिए राज्य सरकार की भी निंदा की. इससे पहले, दिन में पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री चाउना मीन के निजी आवास को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया जबकि उपायुक्त के दफ्तर में तोड़फोड़ की. पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को पुलिस फायरिंग में जख्मी हुए एक शख्स के एक अस्पताल में दम तोड़ देने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर मार्च किया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. प्रदर्शनकारियों ने यहां नीति विहार इलाके में उप-मुख्यमंत्री के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया और ईटानगर के उपायुक्त कार्यालय में तोड़फोड़ की. उन्होंने उपायुक्त कार्यालय परिसर में खड़ी कई गाड़ियों में भी आग लगा दी. पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ईटानगर पुलिस थाने और राज्य की राजधानी की कई सार्वजनिक संपत्तियों पर भी हमला किया. उन्होंने सोहम शॉपिंग मॉल को भी नुकसान पहुंचाया और नागरलगुन के एक मार्केट कॉम्प्लेक्स में आग लगाने के अलावा कीमती सामान भी लूट लिए. शनिवार को प्रदर्शनकारियों की ओर से की गई पत्थरबाजी में 24 पुलिसकर्मियों सहित 35 लोगों के जख्मी होने के बाद ईटानगर और नाहरलगुन में बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया गया था. सेना ने शनिवार को ईटानगर और नाहरलगुन में फ्लैग मार्च किया. दोनों जगहों पर इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं. पुलिस ने बताया कि सारे बाजार, पेट्रोल पंप और दुकानें बंद हैं और ईटानगर की ज्यादातर एटीएम में नगद नहीं है. शुक्रवार से अब तक प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिस वाहनों सहित 150 से अधिक वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया है. शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय इंदिरा गांधी उद्यान में ईटानगर अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के मंच को नुकसान पहुंचाया. बाद में आयोजकों ने फिल्म महोत्सव रद्द कर दिया. हितधारकों से बातचीत के बाद संयुक्त उच्चाधिकार समिति (जेएचपीसी) ने ऐसे छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश की है, जो मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के नहीं हैं, लेकिन दशकों से नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं. जेएचपीसी की सिफारिश शनिवार को विधानसभा में पटल पर रखी जानी थी, लेकिन स्पीकर द्वारा सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए जाने के कारण इसे पेश नहीं किया जा सका. शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों से अपील की कि वे संयम बरतें और शांति कायम रखें. सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू से भी बात की. खांडू ने उन्हें राज्य के हालात की जानकारी दी. इस बीच, अरुणाचल प्रदेश में भड़की व्यापक हिंसा के मद्देनजर भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 1,000 कर्मी राज्य के लिए रवाना किए गए हैं. जिन समुदायों को पीआरसी देने पर विचार किया जा रहा है, उनमें देओरिस, सोनोवाल कचारी, मोरंस, आदिवासी, मिशिंग और गोरखा शामिल हैं. इनमें से अधिकतर को पड़ोस के असम में अनुसूचित जनजाति माना जाता है. दिल्ली में एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ईटानगर और अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती के लिए आईटीबीपी की 10 अतिरिक्त कंपनियां भेजी हैं. अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय प्रशासन की आवश्यकता के अनुसार इन अर्द्धसैनिकों की तैनाती करेगी. राज्य में आईटीबीपी की पांच कंपनियां पहले ही तैनात की जा चुकी हैं. अर्द्धसैनिक बल की एक कंपनी में 100 कर्मी होते हैं. अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी कर्मियों को तात्कालिक आवश्यकता के आधार पर भेजा गया है क्योंकि ईटानगर और अन्य क्षेत्रों में रविवार को व्यापक हिंसा हुई और संपत्ति तथा वाहनों को भारी नुकसान पहुंचा.
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