गुरप्रीत सिहं संधू और अमरिंदर सिंह इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के पांचवें सीजन में गोल्डन ग्लव्स के प्रमुख दावेदार हैं. इस सीजन में जहां सभी नजरें फेरान कोरोमिनास (एफसी गोवा), बार्थोलोमेव ओग्बेचे (नार्थईस्ट युनाइटेड एफसी) और हाल ही में हैट्रिक लगाने वाले मोदू सोगू (मुंबई सिटी एफसी) जैसे दिग्गज गोल स्कोरर पर थीं, लेकिन इसी बीच गोलकीपरों के बीच रेस बहुत रोचक हो गई. अभी इस रेस में बेंगलुरु एफसी के गोलकीपर गुरप्रीत आगे चल रहे हैं. शीर्ष-तीन में शामिल टीमों में से गुरप्रीत इकलौते गोलकीपर हैं जो इस सीजन में बेंगलुरु के हर मैच के हर मिनट में मैदान पर मौजूद रहे हैं. उन्होंने अभी तक 1530 मिनट मैदान पर बिताए हैं. इस मामले में एटीके के गोलकीपर अरिंदम भट्टाचार्य गुरप्रीत की बराबरी कर सकते हैं, लेकिन गुरप्रीत को अंत तक मुंबई के अमरिंदर से चुनौती मिलेगी. अमरिंदर ने इस सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. मुंबई ने अभी तक सिर्फ 16 गोल खाए हैं और अमरिंदर के रहते हुए उसका औसत 89.56 प्रति मिनट गोल का है. 25 साल के इस गोलकीपर ने इस सीजन में सबसे ज्यादा छह क्लीनशीट हासिल की हैं. मुंबई इस सीजन प्लेऑफ में जाने में सफल रही है उसकी एक बड़ी वजह पंजाब में जन्मा यह गोलकीपर है. मुंबई ने सीजन की शुरुआत में उन्हें तीन साल के करार का प्रस्ताव दिया था और वह इस बात को सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं कि उन पर खत्म किया गया पैसा पूरी तरह से जायज साबित हो. वहीं गुरप्रीत भारत के इतिहास के सबसे महंगे गोलकीपर हैं और वह अपनी यूरोपियन सीख का इस्तेमाल आईएसएल में अच्छे तरह कर रहे हैं. गुरप्रीत का गोलपोस्ट पर रहना बेंगलुरु के डिफेंस को मजबूती देता है, हालांकि दिल्ली डायनामोज के खिलाफ खाए गए तीन गोल महज एक अपवाद थे. गुरप्रीत ने इस सीजन अभी तक पांच क्लीनशीट हासिल की हैं और सबसे ज्यादा (55) सेव किए हैं. कई मैचों में तो उन्होंने अकेले दम पर बेंगलुरु को गोल खाने से बचाया है. आईएसएल के आंकड़ो के मुताबिक, गुरप्रीत ने औसतन हर 90 मिनट में एक गोल खाया है. वहीं अमरिंदर उनके काफी करीब हैं. उन्होंने औसतन 89.56 मिनट में गोल खाया है. इस सूची में तीसरा नाम पवन कुमार का है. पवन की निरंतरता नार्थईस्ट युनाइटेड एफसी के पहली बार आईएसएल के प्लेऑफ में जाने की बड़ी वजह रही है. पवन ने पांच क्लीन शीट हासिल की हैं तो वहीं 53 बचाव किए हैं और इसी कारण वह टीपी रेहनेश से काफी आगे खड़े हैं. रेहनेश के कारण एल्को स्कोटरी की नार्थईस्ट को नुकसान उठाना पड़ा था. इसके बाद स्कोटरी ने पवन का इस्तेमाल किया और इस खिलाड़ी ने कोच के फैसले को सही ठहराया. पवन ने मुश्किल हालात में भी अपना संयम बरकरार रखा. साथ ही अपने रिकॉर्ड को भी बेहतर किया. इन तीनों गोलकीपरों के प्रदर्शन ने बताया है कि गोलपोस्ट पर दमदार खिलाड़ी की मौजूदगी आईएसएल में कितनी अहम है. अब जबकि प्लेऑफ करीब हैं, ऐसे में इन खिलाड़ियों पर अपनी टीम की जिम्मेदारी पहले से ज्यादा है.
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