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Sunday 3 February 2019

असम: शादी में आए मेहमानों से दूल्हा-दुल्हन ने क्यों मांगे पुराने कपड़े?

असम के बक्सा जिले में स्थित कटालीगांव में बीते शुक्रवार को लोगों को एक अनोखी शादी देखने को मिली. यहां लोग दूल्हा-दुल्हन को गिफ्ट करने के लिए पुरानी चीजें लेकर पहुंचे थे. सिर्फ इतना ही नहीं दूल्हा-दुल्हन ने मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट में पौधे दिए. न्यूज़18 की खबर के अनुसार भूपेन राभा और बबीता बोरो ने अपनी शादी के कार्ड पर एक 'सर्विस टू मैनकाइंड' का संदेश लिखा था. इसमें दूल्हे ने रिसेप्शन पर आने वाले मेहमानों से जरूरतमंद के लिए पुराने कपड़े और किताबें लाने का अनुरोध किया था. मेहमान पुराने कपड़े और किताबें लेकर शादी समारोह में पहुंचे थे वहीं दूल्हे की इस गुजारिश के बाद सभी लोग इस नेक काम में अपना योगदान देना चाहते थे और इसी के लिए मेहमान पुराने कपड़े और किताबें लेकर शादी समारोह में पहुंचे थे. मुशालपुर के एक सरकारी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत राभा ने कहा, जब हम शादी की बात करते हैं, तो यह आमतौर पर लोगों के गिफ्ट और खाने के बारे में होता है. मैंने इसे एक अवसर का रूप देने के बारे में सोचा था. मुझे पता था कि इस शादी में करीब तीन हजार लोग शामिल होंगे, इसलिए मैंने निमंत्रण कार्ड में एक संदेश लिखा था. हमारे गांव के लोग इस काम को एक अच्छे उदाहरण के रूप में ले सकते हैं और फिर से इसे दोहरा सकते हैं. इस माध्यम से मैं जागरूकता संदेश का प्रसार करना चाहता था. कटालीगांव को बक्सा जिले के सबसे स्वच्छ गांव की मान्यता दी गई थी बता दें कि मुशालपुर में नंबर 2 कटालीगांव को बक्सा जिले के सबसे स्वच्छ गांव की मान्यता दी गई थी. गांव की हर सड़क पर दोनों तरफ बैनर लगे हैं, जिनमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व और समाज के नियमों का पालन करने के बारे में कहा गया है. राभा ने स्वच्छता के बारे में बताया- हमारे पास तीन सोसायटी हैं और गांव को साफ रखने के लिए उनके बीच काम विभाजित किया गया है. सोसायटी के लोग हर तरह के काम करते हैं जैसे सड़कों पर गोबर साफ करने से लेकर नियमों को न मानने वाले किसी भी व्यक्ति पर नजर रखने तक का. हम आदिवासी हैं, फिर भी हमने शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है. शराब का सेवन करने वाले किसी भी व्यक्ति को 10,000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ता है. मेहमानों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया था उन्होंने इनमें से एक सोसायटी के साथ अपने विचार को साझा किया. हालांकि ग्रामीणों को इस तरह की पहल पर संदेह था लेकिन वह मदद करने के लिए एकजुट हुए. तब राभा ने एक यूरोपीय दोस्त की मदद से अपने घर के बाहर बैनर लगाए. उनके दोस्त ने इसके पहले भी शादी के मेहमानों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया था जहां उन्होंने अपने गांव में गाड़ी चलाने वालों को कपड़े बांटे थे. शादी में एकत्र किए गए कपड़ों का बंडल अब इन सोसायटी द्वारा उन लोगों में बांटे जाएंगे और शादी में मिली हुई सारी किताबें ग्रामीणों के लिए एक ओपन लाइब्रेरी में रखी जाएंगी. राभा का मानना है कि गांव के लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना एक बहुत बड़ा कदम है.

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