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Friday, 25 January 2019

क्या Videocon के गलत ऑफिस पर छापा मार गई सीबीआई?

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन ने गुरुवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है. बुधवार को सीबीआई ने इस संबंध में वीडियोकॉन के ऑफिस में छापे भी मारे थे. लेकिन अब आशंका उठ रही है कि एजेंसी ने वीडियोकॉन के गलत ऑफिस में छापे मार दिए हैं. एजेंसी ने चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान बैंक की ओर से वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रुपए के ऋणों को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के सिलसिले में यह मामला दर्ज किया है. बता दें कि इनके खिलाफ बुधवार की रात एफआईआर दर्ज की गई, जिसके बाद सीबीआई ने मुंबई और औरंगाबाद में चार स्थानों पर छापे मारे. वीडियोकॉन समूह, न्यूपावर रिन्यूएबल्स और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालयों पर छापे पड़े. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एफआईआर में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का जो पता दिया गया है, उसके हिसाब से सीबीआई को मित्तल कोर्ट कॉम्पलेक्स के 17वें फ्लोर के बी-विंग में छापा मारना चाहिए था लेकिन अधिकारियों ने इसी कॉम्पलेक्स में सी-विंग में छापा मारा, जिसमें वीडियोकॉन की दूसरी कंपनियां हैं. हालांकि, ये दोनों विंग अंदर से कनेक्टेड हैं. इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात सामने आई है कि इस मामले के मुख्य आरोपी वीडियोकॉन इंडस्ट्री का नाम यहां स्केच पेन से मराठी में लिखा हुआ है. साथ ही नाम को दरवाजे के पीछे से पैकेजिंग टेप से चिपकाया गया है, जो दरवाजा खोलने पर ही दिखता है, जबकि वहीं दूसरी कंपनियों का नाम बाकायदा मेटल फ्रेम वाले नेमप्लेट्स पर छपा हुआ है. एफआईआर में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को मित्तल कोर्ट कॉम्पलेक्स के 17वें फ्लोर के बी-विंग में स्थित बताया गया है. इसी बिल्डिंग के 17वें फ्लोर पर के सी-विंग पर ही वीडियोकॉन की दूसरी वीडियोकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स और दूसरी चार सहायक कंपनियों का ऑफिस है. इस सी-विंग में वीडियोकॉन गेम्स, छत्तीसगढ़ पॉवर वेन्चर, प्रॉस्परस एनर्जी औऱ VOVL का ऑफिस है. इनमें से किसी भी कंपनी का नाम एफआईआर में दर्ज नहीं है. ये भी साफ नहीं है कि ये कंपनियां वीडियोकॉन ग्रुप की सहायक कंपनियां हैं या नहीं. बता दें कि सीबीआई ने इस भ्रष्टाचार के केस में वेणुगोपाल धूत के अलावा उनकी कंपनियों वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सुप्रीम एनर्जी और न्यूपावर रिन्यूएबल्स को भी आरोपी बनाया है. न्यूपावर कंपनी का संचालन दीपक कोचर करते हैं, जबकि सुप्रीम एनर्जी की स्थापना धूत ने की थी. एजेंसी ने सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है. यह आरोप है कि मई 2009 में चंदा कोचर के बैंक की सीईओ का पदभार ग्रहण करने के बाद ऋणों को मंजूर किया गया और इसके बाद धूत ने दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर में अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी के माध्यम से निवेश किया. एफआईआर में कहा गया है कि सीबीआई इन ऋणों की मंजूरी के सिलसिले में बैंकिंग उद्योग के कुछ बड़े नामों की भूमिका की जांच करना चाहती है. इसमें कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक के मौजूदा सीईओ संदीप बख्शी, संजय चटर्जी, ज़रीन दारुवाला, राजीव सभरवाल, के वी कामथ और होमी खुसरोखान उन समितियों में शामिल थे जिसने ऋणों को मंजूरी दी. बैंक और अन्य लोगों की ओर से अभी कोई टिप्पणी नहीं की गई है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि दिए गए ऋण बाद में नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) में बदल गए जिससे बैंक को नुकसान हुआ वहीं आरोपियों और ऋण लेने वालों को अनुचित फायदा हुआ.

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