सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय में मॉर्निंग असेम्बली में हिंदी और संस्कृत में प्रार्थना करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पास भेजा दिया है. याचिका पर सुनवाई कर रही दो जजों की बेंच ने कहा है कि संविधान पीठ अब मामले की सुनवाई करेगी. साथ ही मामला चीफ जस्टिस के सामने भी रखा जाएगा. Supreme Court refers to constitution bench, a plea challenging compulsory recitation of Sanskrit and Hindi hymns in the morning assembly of the Kendriya Vidyalayas. pic.twitter.com/8n2h8FsDCk — ANI (@ANI) January 28, 2019 केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत और हिन्दी में प्रार्थना क्या हिन्दू धर्म का प्रचार है, इस पर सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने कहा कि इस मामले को संविधान पीठ को सुनना चाहिए. पीठ ने कहा कि यह धार्मिक महत्व का मामला है और दो जजों की पीठ ने उचित बेंच के गठन के लिए मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया है. इससे पहले केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना क्या हिंदुत्व को बढ़ावा है? सुप्रीम कोर्ट ने इसी सवाल को लेकर दायर पीआईएल पर केंद्र से जवाब तलब किया था. आपको बता दें कि जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार करती है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा संचालित किसी भी संस्थान में ऐसा नहीं होना चाहिए. पीआईएल में संविधान के आर्टिकल 92 के तहत 'रिवाइज्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्रीय विद्यालय संगठन' की वैधता को चुनौती दी गई है. आर्टिकल 92 के मुताबिक, 'स्कूल में पढ़ाई की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से होगी. सभी बच्चे, टीचर्स और प्रिंसिपल इस प्रार्थना में हिस्सा लेंगे.' इस आर्टिकल में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली सुबह की प्रार्थना की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है.
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