अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में शांति के लिए अहम मुद्दों पर समझौते का एक ड्राफ्ट बनाने या फ्रेमवर्क तैयार करने के पड़ाव पर पहुंच चुके हैं. अमेरिका के एक टॉप एन्वॉय यानी शीर्ष दूत ने ये जानकारी दी है. अमेरिकी दूत ज़लमय खलीलज़ाद ने यह बात पिछले हफ्ते क़तर में तालिबान के साथ छह दिन बातचीत करने बाद कही है, जहां उन्होंने विद्रोहियों से अफ़ग़ान राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी की सरकार के साथ सीधी बातचीत करने का आग्रह किया था. न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में खलीलज़ाद ने कहा कि तालिबान के साथ शांति समझौते की रूपरेखा को लेकर सैद्धांतिक रूप में समझौता हो चुका है, जिसे अभी ड्राफ्ट की शक्ल दिया जाना बाकी है. यह समझौता विद्रोहियों को यह गारंटी देने के लिए प्रतिबद्ध करेगा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों या व्यक्तियों के अड्डे के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत संघर्ष विराम लागू होने के बदले अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह वापसी और तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत की राह बनेगी. अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी अपने बयान में खलीलज़ाद ने कहा, 'हमने अपनी चर्चा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रगति की है और कुछ अहम मुद्दों पर समझौते को लेकर सैद्धांतिक सहमति बनी है.' खलीलज़ाद ने अपने इस इंटरव्यू में बताया कि तालिबान ने एक बहुत बड़े मुद्दे पर अमेरिका की मदद के लिए तैयार हुआ है. उन्होंने बताया है कि तालिबान ने अमेरिका की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए वादा किया है कि वो अफगानिस्तान को दूसरे आतंकी संगठनों या व्यक्तियों का गढ़ बनने से रोकने के लिए जो करना पड़ेगा वो करेगा. उन्होंने आगे कोई जानकारी नहीं दी लेकिन उनके बयान से इन खबरों को बल मिला, जिसमें कहा गया था कि तालिबान ने अफगानिस्तान में अल-कायदा और आईएआईएस का विरोध करने की सहमति दी है. (एजेंसी के इनपुट के साथ)
Tuesday 29 January 2019
शांति की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश में अमेरिका-तालिबान में 'Peace Draft' पर समझौता
अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में शांति के लिए अहम मुद्दों पर समझौते का एक ड्राफ्ट बनाने या फ्रेमवर्क तैयार करने के पड़ाव पर पहुंच चुके हैं. अमेरिका के एक टॉप एन्वॉय यानी शीर्ष दूत ने ये जानकारी दी है. अमेरिकी दूत ज़लमय खलीलज़ाद ने यह बात पिछले हफ्ते क़तर में तालिबान के साथ छह दिन बातचीत करने बाद कही है, जहां उन्होंने विद्रोहियों से अफ़ग़ान राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी की सरकार के साथ सीधी बातचीत करने का आग्रह किया था. न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में खलीलज़ाद ने कहा कि तालिबान के साथ शांति समझौते की रूपरेखा को लेकर सैद्धांतिक रूप में समझौता हो चुका है, जिसे अभी ड्राफ्ट की शक्ल दिया जाना बाकी है. यह समझौता विद्रोहियों को यह गारंटी देने के लिए प्रतिबद्ध करेगा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों या व्यक्तियों के अड्डे के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत संघर्ष विराम लागू होने के बदले अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह वापसी और तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत की राह बनेगी. अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी अपने बयान में खलीलज़ाद ने कहा, 'हमने अपनी चर्चा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रगति की है और कुछ अहम मुद्दों पर समझौते को लेकर सैद्धांतिक सहमति बनी है.' खलीलज़ाद ने अपने इस इंटरव्यू में बताया कि तालिबान ने एक बहुत बड़े मुद्दे पर अमेरिका की मदद के लिए तैयार हुआ है. उन्होंने बताया है कि तालिबान ने अमेरिका की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए वादा किया है कि वो अफगानिस्तान को दूसरे आतंकी संगठनों या व्यक्तियों का गढ़ बनने से रोकने के लिए जो करना पड़ेगा वो करेगा. उन्होंने आगे कोई जानकारी नहीं दी लेकिन उनके बयान से इन खबरों को बल मिला, जिसमें कहा गया था कि तालिबान ने अफगानिस्तान में अल-कायदा और आईएआईएस का विरोध करने की सहमति दी है. (एजेंसी के इनपुट के साथ)
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