अमेरिका ने चीन की दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी हुआवेई पर व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने सहित कई आरोप लगाए हैं. अमेरिका के इस कदम से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है. साथ ही इससे दोनों के बीच होने वाली ट्रेड समिट में भी मुश्किल हो गई है. ये आरोप ऐसे समय में लगाए गए हैं जब अमेरिका और चीन के बीच 30 और 31 जनवरी को व्यापार वार्ता होने वाली है. बहरहाल वाइट हाउस ने सोमवार को इन दोनों घटनाओं के बीच किसी भी तरह का संबंध होने की बात को नकार दिया. अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने सोमवार को हुआवेई के खिलाफ दो मामले खोलते हुए कई आरोप लगाए हैं. एक आरोप यह है कि हुआवेई ने टी-मोबाइल (टीएमयूएस) के व्यापार की खुफिया जानकारी चुराने का प्रयास किया और उन कर्मचारियों को बोनस का वादा किया जो प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की खुफिया व्यापार जानकारियां जुटाएंगे. दूसरे में यह आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताने की कोशिश की. चीन ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अमेरिका ने राजनीतिक उद्देश्य से यह कदम उठाया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ समय से अमेरिका विशेष रूप से चीन की कंपनियों को निशाना बनाने का प्रयास कर रहा है. अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने हुआवेई और उसकी मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) मेंग वानझोऊ पर वित्तीय धोखाधड़ी सहित 13 आरोप लगाए हैं. कंपनी के फाउंडर की बेटी को दिसंबर में कनाडा में गिरफ्तार किया गया था. अमेरिका मेंग के प्रत्यर्पण का प्रयास कर रहा है. इस मामले से कनाडा और चीन के बीच भी बड़ा तनाव पैदा हो गया था. हुआवेई, उसकी सीएफओ और अन्य कर्मियों पर ईरान में हुआवेई की व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में कई वैश्विक वित्तीय संस्थानों और अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप भी लगाया गया है. कार्यवाहक अटॉर्नी जनरल मैथ्यू जी व्हिटेकर ने सोमवार को कहा, ‘आज हम टेलीकॉम कंपनी हुआवेई और उससे जुड़े करीब 20 से अधिक लोगों के खिलाफ आरोप लगाने की घोषणा करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने चीनी अधिकारियों से अगस्त में कहा था, चीन को कानून का पालन करने के लिए अपने नागरिकों और चीनी कंपनियों को जवाबदेह बनाना चाहिए.’ इसके अलावा सिएटल में हुआवेई डिवाइस कंपनी के खिलाफ व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने सहित वायर धोखाधड़ी के सात आरोप और न्याय में बाधा डालने के संबंध में एक आरोप दर्ज किया गया है. आरोपों के अनुसार हुआवेई ने यह चोरी 2012 में शुरू की थी. खुफिया मामलों पर सीनेट की चयन समिति के उपाध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर ने ट्रंप प्रशासन की सराहना की और अमेरिका से चीन की आईपी चोरी को व्यापार वार्ता में प्राथमिकता देने का आग्रह किया. बता दें कि यूरोपीय संघ में चीन के राजदूत ने सोमवार को कहा था कि चीन की प्रौद्योगिकी कंपनी हुआवेई, पश्चिम की सरकारों की ओर से उसके खिलाफ ‘झूठी अफवाहें’ फैलाए जाने का शिकार बनी है. यह पश्चिमी देशों की सरकारों की हुआवेई के दुनियाभर में अपनी टेक्नोलॉजी को स्थापित करने से रोकने की कोशिश है. दूसरी ओर, अमेरिका, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों ने अंदेशा जताया था कि हुआवेई के बेस स्टेशन और अन्य उपकरण चीन को दुनियाभर के अहम नेटवर्क बुनियादी ढांचे तक एक्सेस दे सकते हैं. संभावना है कि इससे चीन को दूसरे देशों की सरकारों की निगरानी करने का मौका मिल जाए.
Tuesday 29 January 2019
अमेरिका ने चीनी कंपनी Huawei पर लगाया खुफिया जानकारी चोरी करने का आरोप
अमेरिका ने चीन की दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी हुआवेई पर व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने सहित कई आरोप लगाए हैं. अमेरिका के इस कदम से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है. साथ ही इससे दोनों के बीच होने वाली ट्रेड समिट में भी मुश्किल हो गई है. ये आरोप ऐसे समय में लगाए गए हैं जब अमेरिका और चीन के बीच 30 और 31 जनवरी को व्यापार वार्ता होने वाली है. बहरहाल वाइट हाउस ने सोमवार को इन दोनों घटनाओं के बीच किसी भी तरह का संबंध होने की बात को नकार दिया. अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने सोमवार को हुआवेई के खिलाफ दो मामले खोलते हुए कई आरोप लगाए हैं. एक आरोप यह है कि हुआवेई ने टी-मोबाइल (टीएमयूएस) के व्यापार की खुफिया जानकारी चुराने का प्रयास किया और उन कर्मचारियों को बोनस का वादा किया जो प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की खुफिया व्यापार जानकारियां जुटाएंगे. दूसरे में यह आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताने की कोशिश की. चीन ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अमेरिका ने राजनीतिक उद्देश्य से यह कदम उठाया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ समय से अमेरिका विशेष रूप से चीन की कंपनियों को निशाना बनाने का प्रयास कर रहा है. अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने हुआवेई और उसकी मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) मेंग वानझोऊ पर वित्तीय धोखाधड़ी सहित 13 आरोप लगाए हैं. कंपनी के फाउंडर की बेटी को दिसंबर में कनाडा में गिरफ्तार किया गया था. अमेरिका मेंग के प्रत्यर्पण का प्रयास कर रहा है. इस मामले से कनाडा और चीन के बीच भी बड़ा तनाव पैदा हो गया था. हुआवेई, उसकी सीएफओ और अन्य कर्मियों पर ईरान में हुआवेई की व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में कई वैश्विक वित्तीय संस्थानों और अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप भी लगाया गया है. कार्यवाहक अटॉर्नी जनरल मैथ्यू जी व्हिटेकर ने सोमवार को कहा, ‘आज हम टेलीकॉम कंपनी हुआवेई और उससे जुड़े करीब 20 से अधिक लोगों के खिलाफ आरोप लगाने की घोषणा करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने चीनी अधिकारियों से अगस्त में कहा था, चीन को कानून का पालन करने के लिए अपने नागरिकों और चीनी कंपनियों को जवाबदेह बनाना चाहिए.’ इसके अलावा सिएटल में हुआवेई डिवाइस कंपनी के खिलाफ व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने सहित वायर धोखाधड़ी के सात आरोप और न्याय में बाधा डालने के संबंध में एक आरोप दर्ज किया गया है. आरोपों के अनुसार हुआवेई ने यह चोरी 2012 में शुरू की थी. खुफिया मामलों पर सीनेट की चयन समिति के उपाध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर ने ट्रंप प्रशासन की सराहना की और अमेरिका से चीन की आईपी चोरी को व्यापार वार्ता में प्राथमिकता देने का आग्रह किया. बता दें कि यूरोपीय संघ में चीन के राजदूत ने सोमवार को कहा था कि चीन की प्रौद्योगिकी कंपनी हुआवेई, पश्चिम की सरकारों की ओर से उसके खिलाफ ‘झूठी अफवाहें’ फैलाए जाने का शिकार बनी है. यह पश्चिमी देशों की सरकारों की हुआवेई के दुनियाभर में अपनी टेक्नोलॉजी को स्थापित करने से रोकने की कोशिश है. दूसरी ओर, अमेरिका, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों ने अंदेशा जताया था कि हुआवेई के बेस स्टेशन और अन्य उपकरण चीन को दुनियाभर के अहम नेटवर्क बुनियादी ढांचे तक एक्सेस दे सकते हैं. संभावना है कि इससे चीन को दूसरे देशों की सरकारों की निगरानी करने का मौका मिल जाए.
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