कांग्रेस की एक प्रेस रिलीज ने अचानक ही हलचल मचा दी. राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय महासचिव का पद देते हुए पूर्वांचल का प्रभारी बनाया है. प्रियंका पार्टी की पारंपरिक रायबरेली और अमेठी सीट पर ही सक्रिय रही हैं और चुनाव से ठीक पहले उन्हें यह जिम्मेदारी मिलने पर कुछ लोग इसे कांग्रेस की खास रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं. वह अगले महीने फरवरी के पहले सप्ताह में कार्यभार ग्रहण करेंगी. उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ है. पूर्वी उत्तर प्रदेश का कार्यभार का मतलब ये भी है कि प्रियंका गाधी वाराणसी और गोरखपुर में चुनाव प्रचार देखेंगी. वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का गढ़ है और गोरखपुर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ है. प्रियंका को लाकर कांग्रेस ने बीजेपी के साथ साथ विपक्षी पार्टियों के सामने एक बात साफ कर दी है कि वो अब बैकफुट पर नहीं खेलेगी. हालांकि प्रियंका को राजनीति में लाने की मांग काफी लंबे समय से चल रही थी. खासतौर से 2014 के चुनाव और उसके बाद कांग्रेस की लगातार हार की वजह से इस मांग ने काफी जोर पकड़ लिया था. लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष पद संभालने के बाद ये मामला खत्म सा हो गया था. लेकिन ऐसा नहीं था कि प्रियंका गांधा की भूमिका खत्म हो गई थी. कांग्रेस में प्रियंका फैक्टर वो प्रियंका गांधी ही थीं जिन्होंने राहुल गांधी की पहली चुनावी रैली में अपने भाई राहुल गांधी को बाकायदा आगे बढ़ाया था. अगर तस्वीरों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा वो तस्वीरें उभरती हैं जिसमें लोगों के बीच में राहुल और प्रियंका बैठे हैं और राहुल ने प्रियंका के कंधे पर हाथ रखा हुआ है. राहुल गांधी का अध्यक्षता में कांग्रेस के पहले महाअधिवेशन में वैसे तो राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी मंच पर अपना जलवा दिखाते रहे, लेकिन मां बेटे के इस जलवे के पीछे बहन प्रियंका गांधी पर्दे के पीछे रह कर पूरे अधिवेशन पर नजर रखी थी. कांग्रेसी नेताओं के मुताबिक प्रियंका ने एक अच्छे प्रशासक की तरह छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा था. एक तरफ वो मच्छरों से निजात पाने के लिए स्प्रे कराती हुई नजर आई थीं तो साथ ही पर्दे के पीछे से वॉकी-टॉकी लेकर इंतजाम में तालमेल बनाती नजर आईं थी. और तो और प्रियंका ने ही मंच पर बोलने वाले वक्ताओं की सूची को अंतिम रूप दिया और पहली बार युवा और अनुभवी वक्ताओं का एक मिश्रण दिया. यहां तक कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत करीब-करीब सभी के भाषण के 'फैक्ट चेक' का जिम्मा भी लिया. भैयाजी के नाम से मशहूर प्रियंका गांधी प्रियंका गांधी नेहरू गांधी परिवार की वो सदस्य हैं जिनको लेकर लोगों में कौतुहल बना रहता है. माना जाता है कि कि वो अपने परिवार के किसी भी सदस्य से ज्यादा असर पैदा कर सकती हैं. सबके मन में ये सवाल था कि वो सक्रिय राजनीति में क्यों नहीं आतीं? वो चुनाव मैनेज कर लेती हैं, प्रत्याशी को जिता देती हैं लेकिन खुद चुनाव नहीं लड़तीं. प्रियंका बड़ी सभाओं के बजाय छोटी सभाएं करना पसंद करती हैं. रायबरेली और अमेठी में पार्टी का पूरा काम प्रियंका गांधी ही संभालती हैं. वहां लोगों के बीच भैयाजी के नाम से मशहूर प्रियंका लोगों के बीच में बहुत ही सहजता से मिलती हैं. प्रियंका कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी समय-समय पर मिलती रहती हैं. बीच सड़क पर रुक कर किसी भी कार्यकर्ता को नाम से पुकार लेती हैं. लोगों के बीच जाना, बात करना जैसे गुण प्रियंका में खासे पसंद किए जाते हैं. प्रियंका गांधी से कार्यकर्ताओं का जुड़ाव अच्छा है. प्रियंका कार्यकर्ता के परिवार का हालचाल पूछना नहीं भूलती हैं. इस तरह वोटर से भी संवाद बनाने का उनका तरीका निराला है. इंदिरा गांधी की छवि प्रियंका की तुलना अक्सर उनकी दादी इंदिरा गांधी से होती है. प्रियंका का हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप साफ नजर आती है. ये भी एक वजह है कि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने को लेकर चर्चा हमेशा रहती है. प्रियंका गांधी ने अपना पहला सार्वजनिक भाषण 16 साल की उम्र में दिया था. खबरों की मानें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी को बनारस से चुनाव लड़ाना चाहती थी लेकिन मोदी के खिलाफ खड़े होने के जोखिम से उन्हें बचने की सलाह दी गई थी. लेकिन कांग्रेस के अंदर प्रियंका हमेशा सक्रिय भूमिका में रही. कांग्रेस से लोगों को जोड़ती प्रियंका वैसे प्रियंका गांधी की भूमिका लोगों को कांग्रेस में जोड़ने में भी काफी मजबूत रही है. गुजरात चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हार्दिक पटेल ने भी राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को राजनीति में सक्रिय नेता के तौर पर देखने की इच्छा जाहिर थी. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी प्रियंका गांधी की तारीफ की थी. प्रियंका नेता है पर राजनीति से दूर क्यों ये सवाल हमेशा उठता था कि क्या वजह है कि प्रियंका सक्रिय राजनीति से परहेज करती है. ये सवाल बार-बार उठता है कि प्रियंका नेता हैं पर राजनीति से दूर क्यों रहती हैं. सोनिया गांधी ने एक बार न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान कहा था कि प्रियंका गांधी अभी अपने बच्चों को संभालने में लगी हैं. ऐसे में राजनीति कैसे करेंगी? हालांकि सोनिया गांधी ने कहा कि ये प्रियंका तय करेंगी कि वो राजनीति में कब आना चाहती हैं. सोनिया गांधी राहुल और प्रियंका के बीच तुलना की चर्चा से बचना चाहती थीं. राबर्ट वाड्रा पर भ्रष्टाचार के आरोप प्रियंका गांधी के पति राबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ डील को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ये उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है. जैसे ही वो सक्रिय राजनीति में आएंगी उन पर ये मुद्दा हावी हो जाएगा. राजनीति में प्रियंका के कदम बढ़ाते ही दूसरी पार्टियां राबर्ट वाड्रा को लेकर उन पर हमला बोल देंगी. इससे प्रियंका का नैतिक पक्ष कमजोर होगा. एक पक्ष ये भी कहता था कि अगर राबर्ट वाड्रा ने कोई गलती की भी हो, तो इसका खामियाजा प्रियंका गांधी क्यों भुगतें? अब राजनीति में कांग्रेस की तरफ से भैया जी प्रियंका गांधी ने कदम रखा है. प्रियंका गांधी वैसे तो उत्तर प्रदेश की बेटी और बहू दोनो हैं. रॉबर्ट वाड्रा मूल रूप से पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाकर ना सिर्फ उत्तर प्रदेश में अपनी खोयी जमीन को पाने की कोशिश में है साथ ही देश की सभी विपक्षी पार्टियों को एक चेहरा भी दे रही है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को एक बंद मुटठी की तरह रखा है. जब तक प्रियंका गांधी राजनीति में औपचारिक तौर पर नहीं आ जातीं, तब तक उनके नेतृत्व कौशल पर कोई सवाल भी नहीं उठेगा. अब आगे के चुनाव बताएंगे कि कांग्रेस का ये कदम उसके लिए क्या रंग लेकर आएगा..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Sports
Popular Posts
-
जागरण संवाददाता, धनबाद: हर्ष वोरा ने महज 16 वर्ष की उम्र में जैनियों के महातीर्थ शत्रुंजय पर्वत ( from Jagran Hindi News - jharkhand:dhanb...
-
Parliament witnessed chaos for the eight straight day of its Monsoon Session with both Houses being repeatedly adjourned as the Opposition v...
-
The INDIA alliance on Friday announced a 13-member coordination committee on the second day of its crucial meet in Mumbai. The motley group ...
No comments:
Post a Comment