अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य तुलसी गबार्ड ने उन आलोचकों को करारा जवाब दिया है जो राष्ट्रपति चुनावों के लिए डेमोक्रेटिक दावेदार पर एक 'हिंदू राष्ट्रवादी' होने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गैर-हिंदू नेताओं से कुछ भी न पूछने और अमेरिका के लिए उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना 'दोहरे मापदंड' को दिखाता है जो सिर्फ 'धर्मांधता' से ही पैदा होता है. अमेरिकी कांग्रेस में चुनी गईं पहली हिंदू महिला, गबार्ड ने रविवार को ‘रिलिजियस न्यूस सर्विसेज’ में एक संपादकीय में उनके, समर्थकों और दानकर्ताओं के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की व्याख्या, 'हिंदू अमेरिकियों की प्रोफाइलिंग करने और उन्हें निशाना बनाए जाने और बिना किसी आधार के उन्हें परेशान किए जाने' के रूप में की है. 37 साल के गबार्ड ने 11 जनवरी को घोषणा की थी कि वो 2020 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी में दावेदारी पेश करेंगी. इस तीखे लेख में गबार्ड ने खुद को हिंदू राष्ट्रवादी बताए जाने के आरोपों की ओर इशारा किया. उन्होंने पूछा, 'कल क्या मुस्लिम या यहूदी अमेरिकी कहोगे. जापानी, लातिन अमेरिका या अफ्रीकी अमेरिकी कहोगे?' गबार्ड ने कहा, 'मेरे देश के प्रति मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना वहीं गैर-हिंदू नेताओं पर कोई सवाल नहीं करना, दोहरे मापदंड को स्पष्ट करता है जो केवल एक बात में निहित हो सकती है: ‘धार्मिक भेदभाव’. मैं हिंदू हूं और वो नहीं.’ उन्होंने कहा, 'भारत के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को इसके 'सबूत' के तौर पर दर्शाया गया और इसे एक तरह से असामान्य बताया गया जबकि राष्ट्रपति (बराक) ओबामा, मंत्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप और कांग्रेस के मेरे कई साथी उनसे मुलाकात कर चुके हैं और उनके साथ काम कर चुके हैं.' 'पहली हिंदू-अमेरिकी दावेदार होने का मुझे गर्व है' हवाई से चार बार की डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद ने कहा, 'कांग्रेस में चुनी जाने वाली पहली हिंदू-अमेरिकी होने और अब राष्ट्रपति पद के लिए पहली हिंदू-अमेरिकी दावेदार होने का मुझे गर्व है.' गबार्ड ने कहा कि सुर्खियों में राष्ट्रपति पद के लिए उनकी दावेदारी को भले ही ऐतिहासिक बताया जा रहा है, हो सकता है कि अमेरिकियों को विश्व के तीसरे बड़े धर्म के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी हो, लेकिन, 'कुछ ने इसकी बजाए न सिर्फ मुझे लेकर बल्कि मेरे समर्थकों को लेकर भी संदेह, डर और धर्मांधता भड़काई है.' उन्होंने विपक्षी पार्टियों के पूर्व में उनके खिलाफ हुए हमलों की ओर इशारा किया.
Tuesday 29 January 2019
तुलसी गबार्ड का आलोचकों को करारा जवाब, बोलीं- हिंदू होने से किया जा रहा है टारगेट
अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य तुलसी गबार्ड ने उन आलोचकों को करारा जवाब दिया है जो राष्ट्रपति चुनावों के लिए डेमोक्रेटिक दावेदार पर एक 'हिंदू राष्ट्रवादी' होने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गैर-हिंदू नेताओं से कुछ भी न पूछने और अमेरिका के लिए उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना 'दोहरे मापदंड' को दिखाता है जो सिर्फ 'धर्मांधता' से ही पैदा होता है. अमेरिकी कांग्रेस में चुनी गईं पहली हिंदू महिला, गबार्ड ने रविवार को ‘रिलिजियस न्यूस सर्विसेज’ में एक संपादकीय में उनके, समर्थकों और दानकर्ताओं के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की व्याख्या, 'हिंदू अमेरिकियों की प्रोफाइलिंग करने और उन्हें निशाना बनाए जाने और बिना किसी आधार के उन्हें परेशान किए जाने' के रूप में की है. 37 साल के गबार्ड ने 11 जनवरी को घोषणा की थी कि वो 2020 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी में दावेदारी पेश करेंगी. इस तीखे लेख में गबार्ड ने खुद को हिंदू राष्ट्रवादी बताए जाने के आरोपों की ओर इशारा किया. उन्होंने पूछा, 'कल क्या मुस्लिम या यहूदी अमेरिकी कहोगे. जापानी, लातिन अमेरिका या अफ्रीकी अमेरिकी कहोगे?' गबार्ड ने कहा, 'मेरे देश के प्रति मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना वहीं गैर-हिंदू नेताओं पर कोई सवाल नहीं करना, दोहरे मापदंड को स्पष्ट करता है जो केवल एक बात में निहित हो सकती है: ‘धार्मिक भेदभाव’. मैं हिंदू हूं और वो नहीं.’ उन्होंने कहा, 'भारत के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को इसके 'सबूत' के तौर पर दर्शाया गया और इसे एक तरह से असामान्य बताया गया जबकि राष्ट्रपति (बराक) ओबामा, मंत्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप और कांग्रेस के मेरे कई साथी उनसे मुलाकात कर चुके हैं और उनके साथ काम कर चुके हैं.' 'पहली हिंदू-अमेरिकी दावेदार होने का मुझे गर्व है' हवाई से चार बार की डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद ने कहा, 'कांग्रेस में चुनी जाने वाली पहली हिंदू-अमेरिकी होने और अब राष्ट्रपति पद के लिए पहली हिंदू-अमेरिकी दावेदार होने का मुझे गर्व है.' गबार्ड ने कहा कि सुर्खियों में राष्ट्रपति पद के लिए उनकी दावेदारी को भले ही ऐतिहासिक बताया जा रहा है, हो सकता है कि अमेरिकियों को विश्व के तीसरे बड़े धर्म के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी हो, लेकिन, 'कुछ ने इसकी बजाए न सिर्फ मुझे लेकर बल्कि मेरे समर्थकों को लेकर भी संदेह, डर और धर्मांधता भड़काई है.' उन्होंने विपक्षी पार्टियों के पूर्व में उनके खिलाफ हुए हमलों की ओर इशारा किया.
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