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Monday 28 January 2019

गडकरी की बातों से मोदी सरकार फिर असहज, जानें कब किस बयान से BJP नेतृत्व की बढ़ी टेंशन?

मोदी सरकार में मंत्री नितिन गडकरी अपने हालिया बयान को लेकर फिर चर्चा में हैं. गडकरी ने रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में चुनावी वादों का जिक्र करते हुए कहा कि 'सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं, लेकिन दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है, इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकते हैं, मैं सपने दिखाने वालों में से नहीं हूं, जो भी बोलता हूं वह डंके की चोट पर बोलता हूं.' नागपुर से ताल्लुक रखने वाले नितिन गडकरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के करीबी हैं. उनके ताजा बयान से चुनावी मौसम में कई मायने निकाले जा रहे हैं. इसे इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से भी जोड़कर देखा जा रहा है. केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री अपने कामकाज के अलावा अपने बयानों से भी खासी सुर्खियां बटोरते हैं. यह पहली बार नहीं है जब नितिन गडकरी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बयान दिया है. पिछले कुछ समय से अलग-अलग मंचों पर अपने दिए बयानों से वो मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का काम करते रहे हैं. गडकरी के तीखे बयान अक्सर सरकार के साथ-साथ बीजेपी आलाकमान के लिए परेशानी बढ़ाने वाले होते हैं. आपको बताते हैं, नितिन गडकरी ने पिछले कुछ समय के दौरान सियासी संकट में डालने वाले क्या-क्या बयान दिए हैं. 07 जनवरी, 2019 नागपुर में स्वयंसेवी महिला संगठन (एसएचजी) के कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि वो जात-पात और आरक्षण व्यवस्था में यकीन नहीं रखते. इस देश में इंदिरा गांधी जैसी नेता थीं. वो अपने वक्त के तमाम दिग्गज पुरुष नेताओं से बेहतर थीं. उन्होंने पूछा कि क्या इंदिरा गांधी ने कभी आरक्षण का सहारा लिया? उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी को अपनी ताकत साबित करने और कांग्रेस में पुरुष नेताओं से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए महिलाओं को आरक्षण देने की जरूरत नहीं थी. 24 दिसंबर, 2018 नवंबर-दिसंबर, 2018 में देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी की हार पर  गडकरी ने कहा, 'अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद-विधायक अच्छा काम नहीं कर रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जाहिर है मैं.' #WATCH Nitin Gadkari: JL Nehru kehte the, "India is not a nation, it is a population. Iss desh ka har vyakti desh ke liye prashn hai, samasya hai." Unke yeh bhashn mujhe bahut pasand hain. Toh main itna toh kar sakta hun ki main desh ke saamne samasya nahi rahunga. (24.12) pic.twitter.com/i3QzoqwrLk — ANI (@ANI) December 25, 2018 दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के इस सालाना लेक्चर कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव में हार की जिम्मेदारी पार्टी प्रमुख की होती है. 22 दिसंबर, 2018 गडकरी ने महाराष्ट्र के पुणे में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में बीजेपी को मिली चुनावी हार पर ‘नेतृत्व’ को ‘हार और विफलताओं’ की भी जिम्मेदारी लेने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि ‘सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता. सफलता का श्रेय लेने के लिए लोगों में होड़ रहती है लेकिन नाकामी को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं.’ Union Minister and BJP leader Nitin Gadkari in Pune yesterday: Leadership should own up to failures. Until it does so its loyalty and commitment towards the organisation are not proved. pic.twitter.com/LsZzTKDgGV — ANI (@ANI) December 23, 2018 बाद में जब उनके बयान पर बखेड़ा खड़ा हुआ तो गडकरी ने इसके अगले ही दिन सफाई पेश करते हुए कहा कि उनकी कही बात को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. 21 दिसंबर, 2018 एक टीवी कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने गडकरी ने बीजेपी नेताओं को मीडिया में कम बोलने की नसीहत दी थी. उन्होंने कहा था 'हमारे पास इतने नेता हैं और हमें उनके सामने (टीवी पत्रकारों) बोलना पसंद है, इसलिए हमें उन्हें कुछ काम देना है. उन्होंने एक फिल्म के सीन का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोगों के मुंह में कपड़ा डाल कर उनका मुंह बंद करने की जरूरत है. Union Min Nitin Gadkari: There's a spokesperson who has responsibility to speak for party officially, but there are a few ppl in party(BJP) who when they speak to media,stir controversy. One shouldn't speak such things that lead to controversy; it adversely affects party's image. pic.twitter.com/YfKNkcuFVv — ANI (@ANI) December 21, 2018 हालांकि बाद में उन्होंने अपनी सलाह देने वाले बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि पार्टी में प्रवक्ता होते हैं जो आधिकारिक तौर पर बोलते हैं. लेकिन कुछ लोग हैं, वे जब भी मीडिया में बोलते हैं तो विवाद पैदा हो जाता है. इससे पार्टी की छवि खराब होती है. किसी को ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे विवाद पैदा हो. 14 दिसंबर, 2018 टाइम्स समूह के आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के पक्ष में बयान दिया था. उन्होंने कहा कि एक बार कर्ज नहीं चुका पाने वाले 'विजय माल्याजी' को चोर कहना अनुचित है. उन्होंने कहा कि संकट से जूझ रहे उद्योगपति का चार दशक तक ठीक समय पर कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड रहा है. उन्होंने कहा कि 'माल्या 40 साल नियमित भुगतान करता रहा था, ब्याज भर रहा था. 40 साल बाद जब वो एविएशन में गया. उसके बाद वो अड़चन में आया तो वो एकदम से चोर हो गया? जो 50 साल ब्याज भरता है वो ठीक है, पर एक बार में वो डिफॉल्टर हो गया, तो तुरंत सब फ्रॉड हो गया? यह मानसिकता ठीक नहीं.' 27 अक्टूबर, 2018 हैदराबाद में चुनाव प्रचार करते हुए गडकरी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने अपने भाषण में यहां परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति को लेकर कांग्रेस पर करारा तंज कसा. BJP isn't one family's party. It isn't a party which does politics on basis of caste,religion,language.Vajpayee ji was our tallest leader but BJP was never identified with his or Advani ji's name.Rajnath ji&I were its Pres but it wasn't identified with our names: N Gadkari(27.10) pic.twitter.com/Dp2994KKMO — ANI (@ANI) October 27, 2018 गडकरी ने कहा था कि पहले पीएम के पेट से पीएम और सीएम के पेट से सीएम निकलते थे, लेकिन बीजेपी विचार और वसूलों पर चलने वाली पार्टी है. बीजेपी एक परिवार की पार्टी नहीं है. यह कोई ऐसी पार्टी नहीं है जो जाति, धर्म और भाषा के आदर पर राजनीति करती है. 04 अगस्त, 2018 महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गडकरी ने रोजगार और आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया था. केंद्रीय मंत्री ने मराठा आंदोलन पर कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं. The earlier tweet quoting Union Minister Nitin Gadkari was deleted because of a translation error from Marathi to English. pic.twitter.com/nppgDgZHf3 — ANI (@ANI) August 4, 2018 उन्होंने कहा कि आरक्षण तो एक 'सोच' है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें. उन्होंने कहा, 'मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है. लेकिन नौकरियां नहीं हैं. क्योंकि बैंक में आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रूकी हुई है. नौकरियां कहां हैं?' #WATCH: Union Minister Nitin Gadkari clarifies on his earlier reported statement that 'BJP overpromised in 2014 elections'. pic.twitter.com/WCDkYiqSZf — ANI (@ANI) October 10, 2018 बाद में गडकरी के इस बयान का हवाला देकर विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार को घेरा था.

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