सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले में चार दोषियों को जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोषियों को जमानत दी. पीठ ने कहा कि उनको दोषी करार दिए जाने पर संदेह है. इस मामले में अभी बहस की गुंजाइश है. इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. इन सभी दोषियों को आईपीसी की धारा 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाना या विस्फोट करना) के तहत दोषी ठहराया गया था. 2002 Naroda Patiya case: Supreme Court grants bail to four convicts - Umeshbhai Bharwad, Rajkumar, Harshad and Prakashbhai Rathod — ANI (@ANI) January 23, 2019 इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया केस में चारों दोषियों को सजा सुनाई थी. उमेश भरवाद, पदमेंद्र सिंह राजपूत और राजकुमार चौमल को कोर्ट ने 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और दोषियों पर एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. साथ ही गुजरात हाईकोर्ट ने बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया था. लेकिन सबूतों के अभाव में पूर्व बीजेपी मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया था. आपको बता दें कि नरोदा पाटिया दंगा मामला साल 2002 में हुए गुजरात गोधरा कांड से जुड़ा है. 27 फरवरी, 2002 के गोधरा कांड में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जला दिया गया था. इस ट्रेन में अयोध्या से बड़ी तादाद में कारसेवक अहमदाबाद जाने के लिए सवार हुए थे. इसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद ने 28 फरवरी, 2002 को बंद का आह्वान किया था. इसी दौरान नरोदा पटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला पर 97 लोगों की हत्या कर दी.
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