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Friday, 25 January 2019

जयललिता ने जिस घर में बिताए आखिरी 10 साल, उस पर आयकर विभाग ने कर रखा था कब्जा

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता अपनी मौत से पहले करीब 10 वर्षों तक, एक घर में रह रही थीं, जो आयकर विभाग द्वारा 16.74 करोड़ रुपए की बकाया राशि का भुगतान न करने के लिए संलग्न किया गया था. न्यूज 18 की खबर के अनुसार आईटी विभाग ने बताया कि मद्रास हाईकोर्ट ने जयललिता के पोएस गार्डन निवास वेद निलयम को 2007 से अटैच कर दिया था. उनसे जुड़ी तीन अन्य संपत्तियां भी कुर्की के अधीन थीं. विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील पी श्रीनिवास ने उनके निवास को एक स्मारक में बदलने को रोकने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह खुलासा किया. 2018 तक धन कर की कुल बकाया राशि 10.12 करोड़ रुपए थी आईटी डिपार्टमेंट ने जस्टिस विनीत कोठारी और अनीता सुमंत की डिवीजन बेंच के सामने दायर एक जवाबी हलफनामे में यह जानकारी दी. उच्च न्यायालय ने 3 जनवरी को जयललिता के घर से संबंधित कर बकाया राशि और वसूली की स्थिति जानने का विभाग को निर्देश दिया था. आयकर आयुक्त, केंद्रीय सर्कल, शोबा ने जवाबी हलफनामा दायर किया, जिसमें जयललिता के खिलाफ आयकर अधिनियम के तहत उठाए गए मांगों और कुर्की के तहत चार अचल संपत्तियों की सूची की जानकारी शामिल थी. इसमें उनका पीपल गार्डन हाउस भी शामिल था. जवाबी हलफनामे के अनुसार, जयललिता के लिए आकलन वर्ष 2018 तक धन कर की कुल बकाया राशि 10.12 करोड़ रुपए थी जिसमें 31 दिसंबर 2018 तक का ब्याज और पिछले साल दिसंबर तक आयकर का बकाया शामिल है. हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा चार संपत्तियों में से 3 के लिए अटैचमेंट नोटिस, जिसमें पोएस गार्डन हाउस शामिल हैं, 2007 में दिया गया था जबकि सेंट मैरी रोड पर एक के लिए, 2013 में नोटिस दिया गया था. आईटी विभाग के वरिष्ठ वकील पीठ के समक्ष उपस्थित हुए और मूल्यांकन के स्थान, अपील और कर के बकाए की वसूली की स्थिति देने के लिए विभाग के प्राधिकृत अधिकारी का एक और हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. उसी की वसूली के लिए कदम उठाए गए हैं. बता दें कि विभाग इस तरह के कर की वसूली के मामले में भी अपना पक्ष रखेगा और यह जानने की कोशिश की जाएगी कि क्या उन्हें वर्तमान रिट याचिका में पूर्व AIADMK नेता का स्मारक बनाने के लिए दी गई राहत के दावे पर कोई आपत्ति थी. राज्य को रिकॉर्ड पर एक ज्ञापन दाखिल करने की अनुमति दी जा सकती है राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल विजय नारायण ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री की संपत्ति को वर्तमान रिट याचिका में निहित करना उचित होगा. हलफनामे में इंगित किए गए आईटी विभाग की मांगों पर, महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य को रिकॉर्ड पर एक ज्ञापन दाखिल करने की अनुमति दी जा सकती है, जिसे जयललिता की संपत्ति की ओर से प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए. पीठ ने मामले को आगे सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की. 17 अगस्त 2017 को, पलानीस्वामी ने पूर्व मुख्यमंत्री के आवास को स्मारक में बदलने के लिए अपनी सरकार के फैसले की घोषणा की थी. वहीं आईटी विभाग ने 2017 में गुटखा घोटाले के सिलसिले में वेदा निलयम पर खोज की थी.

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