हाईकोर्ट भवन निर्माण घोटाला : जहां होना है गुनाह पर फैसला उसी भवन के निर्माण में कर दिया करोड़ों का घोटाला
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झारखंड हाइकोर्ट (भवन) के निर्माण में शुरू से ही वित्तीय अनियमितताएं होती रहीं. टेंडर फाइनल करने के पहले भी बड़ी अनियमिताएं हुई. योजना के लिए 366 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी, लेकिन इसमें से 31 करोड़ रुपये घटा कर टेंडर किया गया.
फिर इसी 31 करोड़ का काम तय ठेकेदार मेसर्स रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को बिना टेंडर के ही दे दिया गया. सरकार की जांच कमेटी ने इसे घोर अनियमितता माना है. कमेटी ने अब एग्रीमेंट बंद करने की सिफारिश की है.
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नये प्रस्तावित काम में फर्नीचर पर करीब 17.87 करोड़ व आंतरिक सज्जा के काम में करीब 70.29 करोड़ खर्च दिखाया गया है. यानी फर्निशिंग के काम पर करीब 88.16 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर दी गयी है.
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कमेटी ने पाया कि इतनी बड़ी राशि का काम इंजीनियरों ने खुद केवल एक पत्र लिख कर उसी ठेकेदार को दे दिया. पत्र में न तो राशि का उल्लेख किया गया और न ही किसी दर का. बिना टेंडर यह काम आवंटित कर दिया गया.
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इंजीनियरों ने 200 से अधिक ऐसी कामों को जोड़ा है, जो एग्रीमेंट में नहीं थे. इसकी दर भी शिड्यूल रेट में शामिल नहीं है. उनका भुगतान भी बाजार दर पर ही किया गया है.
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एग्रीमेंट की राशि करीब 265 करोड़ के विरुद्ध ठेकेदार को 239 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है. विभाग ने कमेटी को बताया कि किस तरह से योजना में राशि की बढ़ोतरी हुई है. इस कारण 40.16 करोड़ की लागत बढ़ी. अतिरिक्त आइटम पर 77.67 करोड़, जोड़े गये नये कार्य पर 214.78 करोड़, दर वृद्धि, लेबर सेस, बिजली और पानी कनेक्शन पर 99.66 करोड़ जोड़े गये हैं.
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