पिछले महीने ही मध्यप्रदेश सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था जिसमें भय्यू महाराज का नाम भी शामिल था|
मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज द्वारा खुद को गोली मारने की घटना ने सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है. पिछले महीने ही मध्यप्रदेश सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था जिसमें भय्यू महाराज का नाम भी शामिल था.
भय्यू महाराज की मौत के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने भय्यू महाराज की मौत के लिए मध्यप्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. अग्रवाल ने कहा 'मध्यप्रदेश सरकार ने भय्यू को पद स्वीकार करने और सरकार को अपना समर्थन देने के लिए मानसिक दबाव बनाया. इस मामले की सीबीआई जांच होना चाहिए.'
गौरतलब है कि भय्यू महाराज ने मंगलवार दोपहर इंदौर स्थित अपने आश्रम में खुद को गोली मार ली. घटना के तुरंत बाद उनके सेवक आनन-फानन में इंदौर के बॉम्बे अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. पत्रिका में छपी खबर के मुताबिक अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि जब सेवादार भय्यू महाराज को अस्पताल लेकर पहुंचे, उनकी मौत हो चुकी थी.
डीआईजी हरिनारायनचारी मिश्रा ने भय्यू जी महाराज की मौत की पृष्टि की. भय्यू महाराज के साथ काम करने वाले एक व्यक्ति सुघना जाधव ने कहा कि वह बहुत डिप्रेशन में थे. उनकी मृत्यु की खबर पाते ही इंदौर स्थित बॉम्बे अस्पताल के बाहर उनके अनुयायी इकट्ठे होने लगे.
भय्यू जी की मौत की खबर फैलते ही उनके अनुयायियों के साथ उनकी बेटी कुहू भी अन्य अधिकारियों के साथ अस्पताल पहुंची. कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जांच के लिए सिल्वर स्प्रिंग्स स्थित भय्यू जी महाराज के घर पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है जिसकी वह जांच कर रही है.
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