पत्थलगढ़ी सिर्फ झारखण्ड में ही नहीं है, झारखण्ड से सटे छत्तीसगढ़ में भी पत्थलगढ़ी दिख रही है, यहाँ भी लोग बना रहें है अपनी सरकार
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का नाम हटा दिया है. जशपुर का नाम नक्सल प्रभावित जिले से हटाने के बाद यहां आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आदिवासियों ने अपने हक की आवाज बुलंद करने का दावा करते हुए पत्थलगढ़ी की प्रथा शुरू कर दी है.
पत्थलगढ़ी में लिखे शब्दों से सरकार के कान खड़े हो गए हैं और इसे सरकार अलगाववादियों या कह सकते हैं नक्सल विचारधारा की सुगबुगाहट के तौर पर देख रही है. बीते रविवार को जशपुर में आदिवासियों के आयोजन में सरकार का एक भी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था. इससे चर्चा है कि सरकार ने या तो आदिवासियों को फ्री हैंड कर दिया या फिर इसे रणनीति के तहत अनदेखा किया है.
आदिवासियों का कहना है कि हमें पांचवी अनुसूची का लाभ नहीं दिया जा रहा है. पथलगढ़ी लगाकर ये गांव आदिवासी ग्रामसभा की सरकार से शासित होंगे. मतलब साफ है कि ये गांव अब गैर आदिवासियों और सरकार के हस्तक्षेप से खुद को मुक्त करने की घोषणा कर चुके हैं.
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ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244, अनुच्छेद 19 के अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को आधार बनाकर ग्राम सरकार की स्थापना करना चाहते हैं. इनके द्वारा पत्थलगढ़ी में लिखा गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में केंद्र सरकार या राज्य सरकार की एक इंच जमीन नहीं है. गैर आदिवासी हों या सरकार के अधिकारी आदिवासी गांवों में बिना ग्राम सभा की अनुमति के कोई भी काम नहीं किया जाएगा.
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