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Monday 8 January 2018

चारा घोटाले में कब क्या हुआ

रांची : देश का चर्चित चारा घोटाले में गाय भैंस बकरी के चारे के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ। इसमें बड़े ही चालाकी के साथ सरकारी खजाने का दुरुपयोग कर 950 करोड़ रुपये की बंदरबांट की गयी। यह सबकुछ लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान ही हुआ था। इसका आरोप लालू प्रसाद के अलावा पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा पर भी लगा था। झारखंड के वर्तमान विकास आयुक्त सह सचिव अमित खरे ने सबसे पहले 27 जनवरी, 1996 को चाईबासा स्थित पशुधन विभाग में छापामारी कर चारा घोटाले को उजागर किया था। उस समय अमित खरे चाईबासा के डीसी थे। इसके बाद पूरे मामले को पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च, 1996 को चारा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। सीबीआई ने मामले को संज्ञान में लेते हुए 27 मार्च 1996 को चारा घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज की थी। 10 मई, 1997 को सीबीआई ने तात्कालीन राज्यपाल से लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। इसके बाद राज्यपाल ने 17 जून, 1997 को लालू सहित घोटाले में संलिप्त अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी। इस संबंध में 23 जून, 1997 को लालू और अन्य 55 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया। मामले की उच्चस्तरीय जांच होने के कारण अंतत: लालू को 30 जुलाई, 1997 को सीबीआई कोर्ट के समक्ष सरेंडर करना पड़ा था। 15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग राज्य झारखंड की स्थापना हुई और पांच अक्टूबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित मामले का केस बिहार से झारखंड में ट्रांसफर कर दिया। फरवरी 2002 में रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में चारा घोटाने पर ट्रायल शुरू हुआ और जून 2007 आते-आते लालू प्रसाद के भतीजे समेत 58 अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया। इसके साथ ही उन्हें पांच से छह साल की सज़ा सुनाई गयी। सीबीआई की विशेष अदालत ने मार्च 2012 में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा और जगदीश शर्मा समेत 31 लोगों के खिलाफ फर्जी बिलों के सहारे बांका और भागलपुर कोषागार से 47 लाख रुपये निकालने के मामले में आरोप तय कर दिया। इसके बाद 13 अगस्त, 2013 को लालू के ट्रायल कोर्ट के जज को ट्रांसफर करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया। 17 सितंबर, 2013 को विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा। 30 सितंबर 2013 को अदालत ने घोटाले पर अपना फैसला सुनाया। लालू और जगन्नाथ मिश्र समेत 45 लोगों को दोषी करार दिया गया। नवंबर 2014 में सीबीआई ने झारखंड हाइकोर्ट से उस आदेश को चैलेंज किया, जिसमें उसने चारा घोटाला में पेंडिंग चार अन्य केस को खारिज कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि एक ही केस और इविडेंस के आधार पर आगे केस नहीं चलाया जा सकता है। मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील को मंजूर करने के साथ लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से संबंधित अलग-अलग मामलों में मुकदमा चलाने का आदेश दिया। इसके बाद 13 दिसंबर, 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत में इस संबंध में बहस पूरी हुई।? 27 दिसंबर, 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत चारा घोटाला मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया। जबकि जगन्नाथ मिश्र सहित सात लोग बरी हो गये। अंतत: लालू सहित अन्य दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान हुआ।

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