रांची : कोरियन कंपनी ने झारखंड को टा-टा, बाय-बाय बोल दिया है. मोमेंटम झारखंड में कोरियन कंपनियों ने जिन सात प्रोजेक्ट का एमअोयू किया था, उनमें से छह कंपनियां गुजरात शिफ्ट हो गया है. कोरिया ईरान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष सुक हून यून ने राज्य के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है. ई-मेल 18 जुलाई 2017 की है. इसमें कोरियन कंपनियों ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अफसरों के रवैये पर हैरानी व नाराजगी जतायी है.
क्या लिखा है पत्र में ?
झारखंड सरकार ने कोरियन कंपनी को वादा किया था कि वो प्रतिनिधिमंडल के साथ कोरिया की यात्रा करेगा और झारखंड में निवेश संबंधी बातें होंगी. जिसके बाद कोरियन इंडस्ट्रीज संगठन ने झारखंड सरकार को कोरिया और जापान के दौर का निमंत्रण पत्र भेजा. जिस पर झारखंड सरकार के अफसरों ने सहमति जतायी थी. कहा गया था कि झारखंड के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही जापान व कोरिया जायेगी. लेकिन बाद में झारखंड सरकार ने कोरिया का दौरा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. सरकार अपने वादे पर कायम नहीं रही. इस कारण झारखंड में निवेश करने में दिक्कतें अा सकती है. सुख होन ने राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी नाराजगी जतायी है. पत्र के मुताबिक अफसरों की कार्यशैली की वजह से कोरियन कंपनियों को परेशानी हो रही थी. यहां तक कि कोरिया की यात्रा पर मुख्यमंत्री कब जायेंगे, इसे लेकर भी कोई पत्राचार नहीं किया गया. अधिकारी कोरियन कंपनियों के प्रतिनिधि को तरजीह भी नहीं देते थे.
एक अधिकारी से मिलने के लिए दिन-दिन भर बैठना पड़ता था :
कोरियन कंपनी के महाप्रबंधक सुनील मिश्रा ने जुलाई महीने में ही झारखंड सरकार को एक पत्र लिखकर कहा था कि राज्य के कुछ अफसरों के रवैये की वजह से कंपनी को काम करने में परेशानी हो रही है. पत्र में यह थी कहा गया था कि कंपनी के बड़े-बड़े अधिकारियों को राज्य के एक अधिकारी से मिलने के लिए दिन-दिन भर बैठना पड़ रहा है. इसके बावजूद अधिकारी से मुलाकात संभव नहीं हो पाती है.
दूसरे राज्यों से आ रहे थे ऑफर..
कोरियन कंपनी को गुजरात, तेलंगना और आंध्र प्रदेश से लगातार ऑफर आ रहे थे. गुजरात सरकार ने कंपनी को अपने राज्य में निवेश करने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का भी वायदा किया था. दूसरे राज्यों से भी ऐसा ही ऑफर था. लेकिन झारखंड के अधिकारियों के रवैये की वजह से कंपनी ने निवेश से अपना हाथ खींच लिया.
बार-बार टलता रहा रघुवर दास का दौरा :
कोरियाई कंपनियों ने 17 से 21 जुलाई 2017 के बीच दक्षिण कोरिया में निवेशक सम्मेलन आयोजित किया था. - निवेशक सम्मेलन में मुख्यमंत्री रघुवर दास को शामिल होने के लिए अामंत्रित किया था.
राष्ट्रपति चुनाव की वजह से सम्मेलन की तिथि में परिवर्तन किया गया.
निवेशक सम्मेलन की तारीख 25 जुलाई-02 अगस्त 2017 तक कर दिया गया. मुख्यमंत्री रघुवर दास इसमें शामिल होने जाने वाले थे. लेकिन नहीं गए. दक्षिण कोरिया के एक शिष्टमंडल ने 10 जुलाई को मुख्यमंत्री से मिल कर उन्हें नयी तिथि की जानकारी दी. शिष्टमंडल का नेतृत्व सुक हून यून कर रहे थे. उनके साथ स्मार्ट ग्रिड ग्रुप के एमडी सुनील मिश्रा भी शामिल थे. कोरियाई शिष्टमंडल ने 11 जुलाई 2017 को मुख्य सचिव से मुलाकात की. मुख्य सचिव ने कहा कि कार्यक्रम में तब्दीली की जाए. कार्यक्रम को 15 अगस्त के बाद रखा जायेगा. कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह असंभव है. सारे लोगों को निमंत्रण दिया जा चुका है. कई निवेशकों का समय मिल गया है. बाद में कोरियाई कंपनियों से बातचीत की कोशिश भी हुई. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. सीएम भी दक्षिण कोरिया नहीं गए.
क्या लिखा है पत्र में ?
झारखंड सरकार ने कोरियन कंपनी को वादा किया था कि वो प्रतिनिधिमंडल के साथ कोरिया की यात्रा करेगा और झारखंड में निवेश संबंधी बातें होंगी. जिसके बाद कोरियन इंडस्ट्रीज संगठन ने झारखंड सरकार को कोरिया और जापान के दौर का निमंत्रण पत्र भेजा. जिस पर झारखंड सरकार के अफसरों ने सहमति जतायी थी. कहा गया था कि झारखंड के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही जापान व कोरिया जायेगी. लेकिन बाद में झारखंड सरकार ने कोरिया का दौरा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. सरकार अपने वादे पर कायम नहीं रही. इस कारण झारखंड में निवेश करने में दिक्कतें अा सकती है. सुख होन ने राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी नाराजगी जतायी है. पत्र के मुताबिक अफसरों की कार्यशैली की वजह से कोरियन कंपनियों को परेशानी हो रही थी. यहां तक कि कोरिया की यात्रा पर मुख्यमंत्री कब जायेंगे, इसे लेकर भी कोई पत्राचार नहीं किया गया. अधिकारी कोरियन कंपनियों के प्रतिनिधि को तरजीह भी नहीं देते थे.
एक अधिकारी से मिलने के लिए दिन-दिन भर बैठना पड़ता था :
कोरियन कंपनी के महाप्रबंधक सुनील मिश्रा ने जुलाई महीने में ही झारखंड सरकार को एक पत्र लिखकर कहा था कि राज्य के कुछ अफसरों के रवैये की वजह से कंपनी को काम करने में परेशानी हो रही है. पत्र में यह थी कहा गया था कि कंपनी के बड़े-बड़े अधिकारियों को राज्य के एक अधिकारी से मिलने के लिए दिन-दिन भर बैठना पड़ रहा है. इसके बावजूद अधिकारी से मुलाकात संभव नहीं हो पाती है.
दूसरे राज्यों से आ रहे थे ऑफर..
कोरियन कंपनी को गुजरात, तेलंगना और आंध्र प्रदेश से लगातार ऑफर आ रहे थे. गुजरात सरकार ने कंपनी को अपने राज्य में निवेश करने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का भी वायदा किया था. दूसरे राज्यों से भी ऐसा ही ऑफर था. लेकिन झारखंड के अधिकारियों के रवैये की वजह से कंपनी ने निवेश से अपना हाथ खींच लिया.
बार-बार टलता रहा रघुवर दास का दौरा :
कोरियाई कंपनियों ने 17 से 21 जुलाई 2017 के बीच दक्षिण कोरिया में निवेशक सम्मेलन आयोजित किया था. - निवेशक सम्मेलन में मुख्यमंत्री रघुवर दास को शामिल होने के लिए अामंत्रित किया था.
राष्ट्रपति चुनाव की वजह से सम्मेलन की तिथि में परिवर्तन किया गया.
निवेशक सम्मेलन की तारीख 25 जुलाई-02 अगस्त 2017 तक कर दिया गया. मुख्यमंत्री रघुवर दास इसमें शामिल होने जाने वाले थे. लेकिन नहीं गए. दक्षिण कोरिया के एक शिष्टमंडल ने 10 जुलाई को मुख्यमंत्री से मिल कर उन्हें नयी तिथि की जानकारी दी. शिष्टमंडल का नेतृत्व सुक हून यून कर रहे थे. उनके साथ स्मार्ट ग्रिड ग्रुप के एमडी सुनील मिश्रा भी शामिल थे. कोरियाई शिष्टमंडल ने 11 जुलाई 2017 को मुख्य सचिव से मुलाकात की. मुख्य सचिव ने कहा कि कार्यक्रम में तब्दीली की जाए. कार्यक्रम को 15 अगस्त के बाद रखा जायेगा. कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह असंभव है. सारे लोगों को निमंत्रण दिया जा चुका है. कई निवेशकों का समय मिल गया है. बाद में कोरियाई कंपनियों से बातचीत की कोशिश भी हुई. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. सीएम भी दक्षिण कोरिया नहीं गए.
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