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Wednesday, 26 April 2017

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रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर वोटिंग में BCCI की हार, अब सभी शर्तें करनी होंगी स्वीकार

नई दिल्ली। साथ ही उसके विरोध को आईसीसी में नए गवर्नेंस सिस्टम को लागू करने के लिए हुई वोटिंग में भी बाकी सभी टेस्ट खेलने वाले देशों ने नकार दिया। एकमात्र श्रीलंका ही गवर्नेंस सिस्टम के मुद्दे पर भारत के साथ खड़ा नजर आया। वोटिंग में फेल होने के बाद एक बार फिर इस पर सबकी निगाहें टिक गई हैं कि भारत चैंपियंस ट्रॉफी में खेलेगा या नहीं।
आईसीसी ने 'बिग थ्रीÓ भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड क्रिकेट बोर्डों को दिए जाने वाले सर्वाधिक राजस्व के मॉडल में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जिससे बीसीसीआई की हिस्सेदारी 57 करोड़ डॉलर से कम होकर 29 करोड़ डॉलर तक गिर जाएगी।
बीसीसीआई के विरोध के बाद आईसीसी के चेयरमैन और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने उन्हें 10 करोड़ डॉलर अतिरिक्त दिलाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन बीसीसीआई ने बिग थ्री मॉडल की ही तरह आईसीसी राजस्व में अपना सबसे ज्यादा हिस्सा होने की बात कहते हुए 57 करोड़ डॉलर ही दिए जाने की मांग की थी। दिलचस्प यह है कि बीसीसीआई के राजस्व में कटौती का यह प्रस्ताव बोर्ड के ही पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर का सुझाया हुआ है।
बुधवार को आईसीसी बोर्ड की बैठक राजस्व मॉडल, संचालन आदि पर चर्चा हुई। इसमें बीसीसीआई के विरोध को देखने के बाद आईसीसी चेयरमैन ने उन्हें आश्चर्यजनक तरीके से 29 करोड़ डॉलर ही स्वीकारने या बैठक से हट जाने की बात कही।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने दुबई से बताया कि इसके बाद बैठक में मौजूद बीसीसीआई सचिव का कार्यभार देख रहे संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी ने वोटिंग की मांग की।
राजस्व मॉडल की वोटिंग में बीसीसीआई को किसी अन्य देश का साथ नहीं मिला और वो 1-9 से हार गया, जबकि गवर्नेंस मॉडल पर श्रीलंका ने भारत के साथ वोट दिया। इसके बावजूद वे इसे भी 2-8 से हार गए।
भारत के लिए सबसे आश्चर्य की बात जिंबाब्वे और बांग्लादेश सरीखे देशों का उनके पक्ष से पीछे हटना रहा। इन देशों ने बीसीसीआई संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित प्रशासकों की कमेटी (सीओए) के साथ वार्ता में भारत का साथ देने का आश्वासन दिया था।
बीसीसीआई अधिकारी ने इस बात पर आश्चर्य भी जताया कि मनोहर ने आखिर किस आधार पर जिंबाब्वे को 1.9 करोड़ डॉलर मिलने का आश्वासन दिया, जबकि उसकी आईसीसी राजस्व में कोई हिस्सेदारी ही नहीं है। उन्होंने कहा, हमने सिर्फ भारतीय हितों पर ध्यान दिया और अपने स्टैंड पर कायम रहे। लेकिन मनोहर का रुख बेहद आश्चर्यजनक था।
चैंपियंस ट्रॉफी पर फैसला एसजीएम में
बीसीसीआई अधिकारी ने चैंपियंस ट्रॉफी के बारे में पूछने पर कहा कि बोर्ड की विशेष आम बैठक बुलाकर सभी सदस्यों के सामने दुबई बैठक का ब्योरा रखा जाएगा। इसके बाद जो निर्णय लिया जाएगा। बस इतना कहना चाहता हूं कि हमने अपने सारे विकल्प खुले रखे हुए हैं।
हालांकि बीसीसीआई यदि चैंपियंस ट्रॉफी से पीछे हटता है तो उसे मेंबर प्लेइंग एग्रीमेंट (एमपीए) तोडऩा होगा, जो एक कानूनी कार्रवाई को आमंत्रण दे सकता है।चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने वाली सभी आठ टीमों ने आईसीसी के साथ खेलने के लिए एमपीए पर हस्ताक्षर किए हुए हैं।

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